Syria से राष्ट्रपति बशर अल असद भाग चुके हैं. उनकी सरकार गिर चुकी है. विद्रोहियों का कब्जा हो चुका है. इजरायल, अमेरिका और रूस हवाई हमले कर रहे हैं. ज्यादातर दूतावास खाली हो चुके हैं. कई तो टूट भी चुके हैं. लेकिन रूस का सुरक्षित है. खबर है कि असद सपरिवार मॉस्को पहुंच गए हैं. (फोटोः एपी)
अमेरिका... अगर सीरिया के टुकड़े होते हैं तो इसका सबसे बड़ा फायदा अमेरिका को मिलेगा. क्योंकि वॉशिंगटन और पेंटागन का मानना है कि इससे उसके साथी देश और संस्थान कमजोर पड़ेंगे. जैसे- हिज्बुल्लाह और इराकी मिलिशिया. साथ ही हूती भी. इससे Axis of Resistance कमजोर पड़ेगा. इससे अमेरिका और इजरायल को फायदा होगा. (फोटोः एपी)
इजरायल... सीरिया के टूटने पर इजरायल का एक दुश्मन कम हो जाएगा. इजरायली सेना लगातार सीरिया के हथियार सप्लाई और मिलिट्री ठिकानों पर हमला कर रही है. सीरिया के टूटने से हिज्बुल्लाह की सप्लाई लाइन टूट जाएगी. साथ ही इजरायल की ताकत बढ़ेगी, वो गोलन हाइट्स पर ज्यादा मजबूती से पकड़ बनाकर रखेगा. (फोटोः एपी)
तुर्की... अंकारा चाहता है कि वो उत्तरी सीरिया पर नियंत्रण रखे. खासतौर से वो इलाका जहां पर कुर्दिश वाईपीजी मौजूद हैं. क्योंकि ये तुर्की की सुरक्षा के लिए खतरा हैं. कुर्दिश आतंकियों की वजह से तुर्की की संप्रभुता को खतरा है. क्योंकि मिडिल-ईस्ट में 3 करोड़ से ज्यादा कुर्द हैं. जिनका विरोध भारी पड़ता है. (फोटोः रॉयटर्स)
ईरान... ईरान के लिए Axis of Resistance का केंद्र बिंदु सीरिया था. ताकि वह इजरायल पर हमला करता. ISIS के दबदबे को कम करना चाहता है. साथ ही ईरान सीरिया को टूटने से बचाने का प्रयास करेगा. क्योंकि इससे उसके लिए खतरा बढ़ जाएगा. सीमाओं पर संतुलन नहीं रहेगा. ईरान को खतरा ज्यादा होगा. (फोटोः रॉयटर्स)
रूस... सीरिया रूस का बहुत पुराना दोस्त है. 1971 से टारटस में रूस का बेस मौजूद है. यह रूस का मजबूत भूमध्यसागर वाला बेस है. रूस ने ISIS को रोकने और सीरिया की मदद करने के लिए हवाई हमले भी किए. ताकि सीरिया की सीमा सुरक्षित रहे. रूस चाहता है कि सीरिया में संतुलन बना रहे साथ ही राजनीतिक समाधान निकले. (फोटोः रॉयटर्स)