भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) पाकिस्तान सीमा के पास जोधपुर में अपने नए अपाचे अटैक हेलिकॉप्टरों की तैनाती करने जा रहा है. ये अमेरिका के फेवरेट हेलिकॉप्टर्स हैं. कई जंगों में इन्होंने जीत दिलाई है. जोधपुर में तैनाती की बड़ी वजह ये हैं कि ये हेलिकॉप्टर्स ताकि आसानी से एयर कॉम्बैट मिशन को पूरा किया जा सके. (फोटोः गेटी)
असल में हर जगह फाइटर जेट्स नहीं जा सकते. क्योंकि उनकी गति बहुत ज्यादा होती है. इसलिए कुछ जगहों पर हमला करने के लिए अटैक हेलिकॉप्टर्स की जरूरत पड़ती है. आइए जानते हैं अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर्स की खासियत... (फोटोः गेटी)
अपाचे हेलिकॉप्टर को पहले एएच-64डी ब्लॉक 3 बुलाते थे. इसमें अत्याधुनिक डिजिटल कनेक्टिविटी है. ज्वाइंट टैक्टिकल इन्फॉर्मेशन डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम है. ज्यादा ताकतवर इंजन है. इसके अलावा फेस गियर ट्रांसमिशन से लैस है. इसकी गति, क्लाइंब रेट और पेलोड क्षमता को बढ़ा सकते है. इसमें संचार के लिए सी, डी, एल और केयू फ्रिक्वेंसी बैंड है. (फोटोः गेटी)
इस हेलिकॉप्टर के साथ ड्रोन्स भी उड़ा सकते हैं. यानी एक हेलिकॉप्टर से कई ड्रोन्स को नियंत्रित करके दुश्मन के इलाके को तबाह कर सकते हैं. इसे उड़ाने के लिए 2 पायलटों की जरूरत होती है. लंबाई 58.2 फीट और ऊंचाई 12.8 फीट है. बिना किसी हथियार या ईंधन के इसका वजन 5165 kg होता है. उड़ान के समय यह 10,433 kg वजन उठा सकता है. (फोटोः IAF MCC)
इसमें जनरल इलेक्ट्रिक के 2 टी700-जीई-701 टर्बोशिफ्ट इंजन लगे हैं. जो इसे 1409 किलोवॉट की ताकत देते हैं. चार ब्लेड वाले इसके मुख्य पंखे का व्यास 48 फीट है. यह अधिकतम 293 km/hr की रफ्तार से उड़ सकता है. आमतौर पर इसे 265 km/hr की गति से उड़ाया जाता है. पायलट इसे कभी भी 365 km/hr तक नहीं ले जाते. (फोटोः गेटी)
लॉन्गबो रडार मास्ट के साथ यह 476 km कॉम्बैट रेंज तक उड़ान भर सकता है. फेरी रेंज 1896 km है. अधिकतम 20 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसमें एक 30 मिमी की एम230 चेन गन लगती है. जो एक मिनट में 1200 राउंड फायर करती है. इसके अलावा चार पाइलॉन हार्डप्वाइंट्स हैं. विंगटिप पर AIM-92 स्टिंगर ट्विन मिसाइल पैक लगा सकते हैं. (फोटोः गेटी)
अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर में 70 मिमी के Hydra-70, CRV, APKWS या हवा से जमीन पर मार करने वाले रॉकेट लगाए जा सकते हैं. इसके अलावा इसमें AGM-114 हेलफायर मिसाइल के वैरिएंट्स लगाए जा सकते हैं. साथ ही हवा से हवा में मार करने वाली स्टिंगर, एजीएम-65 मैवरिक और स्पाइक मिसाइलें लगाई जा सकती हैं. (फोटोः गेटी)
साल 2008 में वायुसेना ने 22 अटैक हेलिकॉप्टर के लिए टेंडर निकाला. इसमें छह अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भाग लिया. सिकोर्स्की का यूएच-60 ब्लैक हॉक, एएच-64डी, बेल्स का एच-1 सुपर कोबरा, यूरोकॉप्टर टाइगर, मिल्स एमआई-28 और अगस्ता वेस्टलैंड का ए129 मांगुस्ता. अक्टूबर तक बोईंग और बेल ने अपने नाम वापस ले लिए. 2009 में इतनी बड़ी डील को हासिल करने की यह प्रतियोगिता फिर शुरु हुई. (फोटोः गेटी)
साल 2010 में भारत ने 22 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर्स और उससे संबंधित यंत्रों, उपकरणों की खरीद की सहमति दिखाई. भारतीय वायुसेना ने 22 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर मंगाए ताकि एयर कॉम्बैट मिशन को पूरा कर सकें. भारत ने इसके बाद 2015 में 22 और एएच-64ई अपाचे हेलिकॉप्टर्स मंगाए. 11 मई 2019 को पहला अपाचे हेलिकॉप्टर मिला. सितंबर 2019 में 9 अपाचे पठानकोट एयरबेस पर तैनात किए गये. इंडियन आर्मी के लिए भी छह अपाचे हेलिकॉप्टर मंगाए गए हैं. (फोटोः IAF MCC)