यूक्रेन ने सारातोव की 38 मंजिला ऊंची रिहायशी इमारत पर हमला किया. साथ ही कुर्स्क में घुसपैठ करके उस पर कब्जा किया. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इससे नाराज हो गए. उन्होंने यूक्रेन के कई शहरों पर भयानक हमला किया. राजधानी कीव भी टारगेट थी. रूस ने कुल मिलाकर 236 हथियार दागे. जिसमें से सिर्फ 35 रोके जा सके. बाकी ने अपने टारगेट्स को हिट किया है. यानी पुतिन अगर अपनी पर आ गए तो यूक्रेन को बर्बाद होने से कोई बचा नहीं पाएगा. जानिए क्यों?
क्या पुतिन के सीधे अटैक से कीव को बचा पाएंगे जेलेंस्की?
जवाब है ... नहीं. या फिर थोड़ी बहुत कोशिश कर सकते हैं. क्योंकि यूक्रेन ने सारातोव की रिहायशी इमारत पर 9/11 जैसा ड्रोन हमला किया. पुतिन भड़क गए. उन्होंने हथियारों का जखीरा खोल दिया. यूक्रेन पर 236 टारगेट्स सेट किए गए. रूस ने 236 हथियार दागे. दावा है कि जिसमें से 201 टारगेट्स पर सटीक निशाना लगा है.
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नीचे देखिए कैलिबर मिसाइल के हमले का वीडियो
रूस ने 109 शाहेद आत्मघाती ड्रोन्स से हमला किया. 99 ड्रोन ने टारगेट को ध्वस्त किया. 115 क्रूज मिसाइलें Kh-101, Kalibr और गाइडेड एयर मिसाइल Kh-59/69 मिसाइलें दागी गईं. इन मिसाइलों ने 99 टारगेट्स को उड़ाया. तीन हाइपरसोनिक किंझल मिसाइल दागी गईं. जिसमे से एक ने सटीकता टारगेट को बर्बाद किया.
इसके अलावा तीन Kh-22 क्रूज मिसाइल दागी गई. एक ने टारगेट को बर्बाद किया. 6 इस्कंदर बैलिस्टिक मिसाइलें दागी गईं, जिनमें से एक ने टारगेट को हिट किया. इसका मतलब ये है कि यूक्रेन और उसका समर्थन करने वाली नाटो सेना ने कुछ मिसाइलों और ड्रोन्स को मार गिराया. कुछ खुले इलाके या नदी में जाकर गिर गए. जिससे नुकसान नहीं हुआ.
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नीचे देखिए कीव में गिरी मिसाइलों और ड्रोन का वीडियो
अगर रूस अपनी पर आ गया तो यूक्रेन को भारी नुकसान होगा. यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की प्रयास करके भी थोड़ा बहुत इलाका ही बचा पाएंगे. जब तक अमेरिका और बाकी देश उनका समर्थन करेंगे. तब तक पुतिन भारी हमला करके कई शहर बर्बाद कर देंगे. कुर्स्क पर हमला करके जेलेंस्की ने पुतिन को ज्यादा गुस्सा दिला दिया है.
डिफेंस ए्क्सपर्ट्स का मानना है कि पुतिन कंट्रोल्ड न्यूक्लियर हथियारों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. पिछले हमले में रूस ने यूक्रेन की बिजली सप्लाई चौपट कर दी. गैस सप्लाई स्टेशन उड़ा दिए. रेलवे सेवा बाधित कर दी. अगर पुतिन चाह लेंगे तो उन्हें रोकना मुश्किल होगा. अब दूसरे सवाल का जवाब..
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क्या कुर्स्क में घुसकर गलती कर दी यूक्रेनी सेना ने या जीत रहे हैं जंग?
यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क इलाके में कब्जा जमाने और घुसपैठ करने की जो हिम्मत दिखाई, उससे दुनिया दंग रह गई. यहां तक की रूस भी हिल गया. पुतिन ने सिर पकड़ लिया. दोनों के बीच जंग की जो लहर चल रही थी, वह पलट गई. कुछ लोग कह रहे हैं कि इससे यूक्रेन को डील करने में मदद मिलेगी. वहीं कुछ इसे गलती का नाम दे रहे हैं.
गलती क्यों... क्योंकि कुर्स्क पर हमला करने के चक्कर में यूक्रेन ने अपने 4400 सैनिक खो दिए. 65 टैंक, 27 इन्फैन्ट्री फाइटिंग व्हीकल, 53 बख्तरबंद पर्सनल कैरियर, 316 बख्तरबंद फाइटिंग व्हीकल, 133 मोटर व्हीकल, 31 आर्टिलरी गन, 5 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लॉन्चर, 9 मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम- जिसमें तीन HIMARS हैं, 6 इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर स्टेशन, इंजीनियरिंग व्हीकल का एक यूनिट, दो काउंटर ऑब्सटैकल व्हीकल और एक यूआर-77 माइन क्लीयरिंग व्हीकल खो दिया है.
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फायदा क्यों... कुर्स्क में यूक्रेन के हमले से रूस इस दुविधा में फंस गया है कि वो डोनबास को बचाए या कुर्स्क ओब्लास्ट को. अब पूरे साल के लिए रूस कोई बड़ा सैनिक हमला नहीं कर सकता. उसे अपने इलाकों को बचाने में ही पूरी ताकत झोंकनी पड़ेगी. कुर्स्क पर हमले से पहले रूस हर दिन करीब 1000 जवानों को खो रहा था.
लेकिन हर महीने वह 20 से 30 हजार लोगों की भर्ती कर रहा था. लगभग इतने ही सैन्य वाहन तैयार हो रहे हैं. लेकिन अब कुर्स्क में यूक्रेनी सेना के पहुंचने के बाद से रूस के पास कुछ रिजर्व सैनिक यूनिट ही बची है. जिनका इस्तेमाल कुर्स्क और बेलगोरोद में यूक्रेनी सेना से लोहा लेने के लिए किया जा रहा है. इसलिए रूस सिवाय हवाई और आर्टिलरी हमले के जमीनी लड़ाई करने की हालत में नहीं है.
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यूक्रेन द्वारा कुर्स्क पर हमला करने की वजह से रूस को अपनी सभी सीमाओं को मजबूत करना होगा. तैनाती बढ़ानी होगी. एयर ऑपरेशंस मजबूत करने होंगे. यूक्रेनी ड्रोन्स ने कई रूसी ड्रोन्स को गिराया है. एयरफील्ड्स पर हमला किया है. हेलिकॉप्टर्स पर हमला किया है. जिसकी वजह से रूस मिलिट्री ऑपरेशन धीमा हो गया है.