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चीन-PAK के टैंकों-बख्तरबंद वाहनों को भस्म कर देगा डीआरडीओ का नया हथियार NAG-Mk2

PAK हो या चीन... उनके टैंकों और बख्तरबंद सैन्य वाहनों को दूर से ही भष्म कर देने की ताकत रखता है भारत का नाग एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम. DRDO अब इसका नया, एडवांस, खतरनाक वर्जन लेकर आने वाला है. इसका नाम होगा Nag-Mk 2 एडवांस एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल. ये जंग के मैदान में पहुंचा तो दुश्मन टैंकों की खैर नहीं...

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ये है नाग ATGM मिसाइल लेकर चलने वाला प्लेटफॉर्म NAMICA. (फोटोः गेटी)
ये है नाग ATGM मिसाइल लेकर चलने वाला प्लेटफॉर्म NAMICA. (फोटोः गेटी)

चीन या पाकिस्तान हिम्मत भी नहीं करेंगे कि जंग के मैदान में वो अपने टैंक्स या आर्मर्ड गाड़ियां निकाल दें. क्योंकि भारत उनकी मौत तैयार कर रहा है. डीआरडीओ (DRDO) भारतीय सेना (Indian Army) के लिए नया, ज्यादा खतरनाक, एडवांस और तेज-तर्रार एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम Nag-Mk2 बनाने जा रहा है.  

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हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान डीआरडीओ चीफ डॉ. समीर वी. कामत ने इस बात की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि  Nag-Mk2 अपने पुराने वर्जन से कहीं ज्यादा बेहतर होगा. हल्का, हर मौसम में काम करने वाला, फायर एंड फॉरगेट तकनीक से लैस होगा. इसमें मिसाइल लॉन्च करने के बाद लॉक-ऑन का ऑप्शन होगा. यानी एक बार टारगेट मिसाइल के निशाने पर आ गया तो कहीं भी भाग ले बच नहीं पाएगा. 

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 DRDO, NAG-Mk2 ATGM, Anti-Tank Guided Missile System

इन तकनीकों से लैस होने के बाद Nag-Mk2 के वार से बच पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा. इसकी रेंज बढ़ाई जा रही है. साथ ही इसके परफॉरमेंस को भी. इस बार इस एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल वॉरफेयर सिस्टम में हेलिना मिसाइल प्रोग्राम को भी शामिल किया जाएगा. साथ ही इसमें जेट वेन कंट्रोल सिस्टम होगा. इससे इसकी मैन्यूवेरिबिलिटी और सटीकता और बेहतर हो जाएगी. जल्द ही इस वॉरफेयर सिस्टम की टेस्टिंग शुरू होगी.

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आइए जानते हैं कि इसके पुराने वर्जन की क्या खासियत थी... 

 DRDO, NAG-Mk2 ATGM, Anti-Tank Guided Missile System

पुराने वर्जन का पूरा नाम नाग मिसाइल कैरियर (NAMICA) था. इसके इस्तेमाल सेना और वायुसेना दोनों करती हैं. एक मिसाइल का वजन 43 किलोग्राम होता है. लंबाई 6.1 फीट होती है. इसकी मिसाइलों में टैंडम-चार्ज हीट यानी बंकर, टैंक, बख्तरबंद वाहनों को उड़ाने वाले 8 किलोग्राम के विस्फोटक लगाए जाते हैं. 

इसमें लगने वाली मिसाइलों जैसे- नाग की रेंज 500 मीटर से 4 किलोमीटर है. हेलिना यानी ध्रुवास्त्र की 7 से 10 किलोमीटर है. इसके अलावा संत मिसाइल की 15-20 किलोमीटर है. इसकी मिसाइलें अलग-अलग रेंज की हैं, जो अलग-अलग गति से उड़ान भरती हैं. ये बीच रास्ते में दिशा भी बदल सकती हैं. 

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