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स्वदेशी 'गौरव' ग्लाइड बम का सफल परीक्षण, 100 किमी तक सटीकता से भेद सकता है टारगेट

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने Su-30 MKI विमान से लंबी दूरी की ग्लाइड बम 'गौरव' के सफल परीक्षण किया है. यह 1000 किलोग्राम का बम लगभग 100 किलोमीटर तक सटीक निशाना साध सकता है. इसे DRDO, आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान और चांदीपुर के सहयोग से डिजाइन किया गया है.

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सुखोई से ‘गौरव’ लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम का सफल परीक्षण (फोटो क्रेडिट - पीआईबी)
सुखोई से ‘गौरव’ लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम का सफल परीक्षण (फोटो क्रेडिट - पीआईबी)

भारतीय वायुसेना के ताकत में इजाफा हुआ है, जिससे दुश्मन की नींद उड़ जाएगी. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने  Su-30 MKI विमान से लंबी दूरी की ग्लाइड बम 'गौरव' के सफल परीक्षण किया है. इस बम को विभिन्न वारहेड कॉन्फिगरेशन के साथ 100 किलोमीटर तक की दूरी पर टारगेट पर सटीक निशाना साधते हुए गिराया गया. ये परीक्षण 8 से 10 अप्रैल के बीच की गई.

क्या है ग्लाइड बम 'गौरव' की खासियत?

‘गौरव’ 1,000 किलोग्राम वर्ग का एक ग्लाइड बम है, जो लगभग 100 किलोमीटर तक सटीक निशाना साध सकता है. जिसे अनुसंधान केंद्र इमारत, आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान और एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर द्वारा डिजाइन और डेवलप किया गया है. बम के परीक्षण में डीआरडीओ और भारतीय वायु सेना (IAF) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया और समीक्षा की. 

इस प्रोजेक्ट में अडानी डिफेंस, अडानी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज, भारत फोर्ज और विभिन्न एमएसएमई कंपनियों की भागीदारी रही है. 

यह भी पढ़ें: Rafale-M Fighter Jet: 26 राफेल-M कैसे बदल देंगे हिंद महासागर में भारत-चीन के बीच पावर बैलेंस? जानिए क्यों अहम है ये डील

राजनाथ सिंह ने क्या कहा?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे सशस्त्र बलों की ताकत बढ़ाने वाला कदम बताया है. रक्षामंत्री ने 'गौरव' के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ, भारतीय वायुसेना और उद्योग जगत को बधाई दी है. 

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रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और DRDO के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने भी DRDO टीम को सफल परीक्षणों को आयोजित करने पर बधाई दी है.

भारतीय वायुसेना इस बम की मदद से दुश्मन के ठिकानों, रडार स्टेशनों, बंकरों को अधिक सटिकता से हमला करने में मदद मिलेगी. वायुसेना अब दुश्मन की सीमा में घुसे बिना दूर से हमला कर सकते हैं. जिससे पायलटों की सुरक्षा में इजाफा होगा.

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