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Katyusha Rocket: सेकेंड वर्ल्ड वॉर के हथियार का इस्तेमाल कर रहा हिजबुल्लाह, रूसी रॉकेट से इजरायल पर हमला

इजरायल पर हिजबुल्लाह जिन रॉकेटों से हमला कर रहा है, वो रूस में बनी हैं. इन रॉकेट्स को कात्युशा (Katyusha) कहते हैं. इसे रूस में सबसे पहले द्वितीय विश्व युद्ध के समय बनाया था. यह एक मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम है, जिसे रूस में 'मौत की मिसाइलें' कहते हैं. आइए जानते हैं इसकी ताकत...

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ये है हिजबुल्लाह द्वारा इजरायल पर दागा जाने वाला कात्युशा रॉकेट, जिसे किसी भी चीज से लॉन्च कर सकते हैं.
ये है हिजबुल्लाह द्वारा इजरायल पर दागा जाने वाला कात्युशा रॉकेट, जिसे किसी भी चीज से लॉन्च कर सकते हैं.

हिजबुल्लाह ने इजरायल पर लगातार 320 से ज्यादा रॉकेटों और ड्रोन से हमले किए. इस हमले में हिजबुल्लाह ने रूस में बने कात्युशा मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर (Katyusha Multiple Rocket Launcher) का इस्तेमाल किया. टारगेट उत्तरी इजरायल और गोलन हाइट्स था. इनमें से कुछ रॉकेट को आयरन डोम ने इंटरसेप्ट भी किया. 

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हिजबुल्लाह के कई रॉकेट्स खुले इलाकों में गिरे. एक रॉकेट तो इजरायल की एक पोल्ट्री फार्म में गिरा. कात्युशा रॉकेट सेकेंड वर्ल्ड वॉर से लेकर अब तक इस्तेमाल हो रहा है. जैसे- पहला इंडो-चाइना वॉर, कोरियन वॉर, वियतनाम युद्ध, ईरान-इराक की जंग, लीबिया और सीरिया युद्ध और अब इजरायल हिजबुल्लाह के बीच. 

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1941 से लगातार बन रहा है ये हथियार... 8 से ज्यादा वैरिएंट्स

1941 से यह रॉकेट बनाया जा रहा है. अब तक एक लाख से ज्यादा रॉकेट्स बन चुके हैं. कात्युशा रॉकेट के कई वैरिएंट्स हैं. इसलिए हर वैरिएंट का अलग-अलग वजन और कैलिबर होता है. जैसे 82 मिलिमीटर से लेकर 300 मिलिमीटर तक के 8 वैरिएंट्स हैं. उसी हिसाब से इनका वजन होता है. 640 ग्राम से लेकर 28.9 किलोग्राम तक.

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 3 से 12 km तक की रेंज, किसी भी चीज से हो जाता है लॉन्च

उसी हिसाब से इनकी रेंज भी है. 2800 मीटर से लेकर 11,800 मीटर तक. यानी करीब तीन किलोमीटर से लेकर 12 किलोमीटर तक. रूस इस रॉकेट को बनाने में 1928 से लगा था. मार्च 1928 में जो पहला रॉकेट टेस्ट किया गया था. वो 1300 मीटर जाकर गिर गया था. इसके बाद इसे और अपग्रेड किया गया. मजेदार बात ये है कि इसे लॉन्च करने के लिए ट्रक, टैक्टर, टैंक, कार, नाव, स्लेज, ट्रॉलर या ट्राईपॉड का इस्तेमाल कर सकते हैं.

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इसे BM-13 भी बुलाया जाता है? 

सोवियत संघ के समय बने इस रॉकेट को BM-13 भी बुलाते हैं. एक बीएम-13 बैटरी में चार से छह जवानों वाली फायरिंग व्हीकल होते हैं. दो फायरिंग के लिए और दो लोडिंग के लिए. ये लॉन्चर लगातार रॉकेट हमला करके किसी भी इलाके को बर्बाद कर सकता है, इससे पहले की दुश्मन इस पर हमला करें, ये अपनी जगह बदल सकता है.  

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क्यों किया हिजबुल्लाह ने इजरायल पर इस तरह का हमला?

हिजबुल्लाह ने फुअद शुक्र की मौत का बदला लेने के लिए इजरायल पर रॉकेटों से हमला कर रहा है. साथ ही वह गाजा को लेकर जो शांति समझौते की बात चल रही है, उसस नाराज है. इसलिए उसने लगातार रॉकेटों से हमला किया.

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