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X-Ray से भी पकड़ में न आए... इजरायली एजेंट ने पेजर में ऐसे फिट किया था विस्फोटक, नया खुलासा

इजरायली इंटेलिजेंस एजेंसी मोसाद की कितनी भी तारीफ करो. कम है. कई साल की तैयारी. ताइवानी कंपनी से लाइसेंस लेना. फिर नई कंपनी बनाना. उसमें पेजर बनाना. पेजर में कम मात्रा में घातक प्लास्टिक विस्फोटक लगाना. उन्हें हिज्बुल्लाह लड़ाकों तक पहुंचाना. और फिर सही समय देखकर उनमें एक ऑनलाइन संदेश से विस्फोट करना. पढ़िए पेजर ब्लास्ट की पूरी एनाटोमी..

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17 सितंबर, 2024 को लेबनान के बेरूत के एक सुपरमार्केट में एक आदमी के बैग में विस्फोट हो गया. यह स्क्रीन ग्रैब सीसीटीवी वीडियो से लिया गया है. (सभी फोटोः रॉयटर्स)
17 सितंबर, 2024 को लेबनान के बेरूत के एक सुपरमार्केट में एक आदमी के बैग में विस्फोट हो गया. यह स्क्रीन ग्रैब सीसीटीवी वीडियो से लिया गया है. (सभी फोटोः रॉयटर्स)

इस साल की शुरूआत में हिज्बुल्लाह लड़ाकों के लिए पेजर की नई बैटरी आई थीं. हजारों की संख्या में. ये बैटरियां पिछले वालों से थोड़ी भारी और मोटी थीं. ये बात हिज्बुल्लाह को समझ नहीं आई. बैटरियां पेजर्स में लगाई गईं. समय आने पर इन बैटरियों के नीचे एक लेयर में लगे प्लास्टिक विस्फोट में धमाका हुआ और लड़ाके मारे गए. जख्मी हुए. 

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समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने पेजर ब्लास्ट के पीछे की पूरी कहानी पता करने की कोशिश की. इजरायली इंटेलिजेंस के प्लॉट ने हैरान कर दिया. कई स्टेज पर तैयारी की गई थी. तब जाकर हजारों पेजर एकसाथ फटे. 

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पहले जानते हैं कि पेजर में क्या किया गया था? 

इजरायली एजेंट्स ने बैटरी के अंदर 6 ग्राम सफेद पेंटाइरीथ्रीटॉल टेट्रानाइट्रेट (PETN) नाम का प्लास्टिक विस्फोटक लगाया. इजरायली एजेंट्स ने लीथियम-आयन बैटरी को दो हिस्सों में बांटा. पहला ऊपर और दूसरा नीचे. इसके बीच में प्लास्टिक विस्फोटक लगाया. साथ में इलेक्ट्रॉनिक स्पार्किंग डेटोनेटर. 

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इस बैटरी का आकार किसी माचिस के डिब्बे जितना ही होता है. आमतौर पर ऐसे डेटोनेटर की उम्मीद नहीं की जाती. क्योंकि ये गैर-पारंपरिक तरीका है. सामान्य तौर पर डेटोनेटर धातु के बने सिलेंडर होते हैं. जिसमें ऊपर बटन लगा होता है. लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं था. एक पतला मेटल और बैटरी के बीच विस्फोटक. 

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X-Ray की पकड़ में नहीं आता PETN विस्फोटक

अब अगर पेजर्स के लिए बैटरी आई है तो उसकी जांच कैसे होगी. एक्सरे मशीन में डालकर. या विस्फोटक चेक करने वाले हैंड हेल्ड स्कैनर से. हिज्बुल्लाह के लड़ाकों ने बैटरियों की एक्सरे जांच की. लेकिन PETN कभी भी एक्सरे की जांच में पकड़ नहीं आता. वैसे भी विस्फोटक बैटरी के बीच में था. हिज्बुल्लाह को फरवरी में ये पेजर्स और बैटरियां मिली थीं. एयरपोर्ट पर जो स्कैनर्स होते हैं, वैसे स्कैनर्स से जांच की गई. लेकिन कुछ नहीं मिला. 

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इस बैटरी का वजन 35 ग्राम था. इसमें 8.75 Wh की एनर्जी कैपेसिटी होनी चाहिए. जबकि जिन बैटरियों की सप्लाई हुई, उसमें मात्र 2.22 Wh की ऊर्जा थी. यानी बैटरी की लेयर को पतला किया गया था. ताकि विस्फोटक के लिए जगह बनाई जा सके. इसमें ऐसी तकनीक लगाई गई कि अंदर मैसेज मिलने पर जब पेजर को ऑन किया जाए, तब उसमें स्पार्क हो. यानी चिंगारी निकले. इससे PETN ट्रिगर हो जाता और वह फट जाता. 

हिज्बुल्लाह को शक हुआ था बीच में, बैटरी जल्द खत्म हो रही थी

हिज्बुल्लाह लड़ाकों को बीच में यह शिकायत थी कि पेजर की बैटरी जल्दी खत्म हो रही है. लेकिन इसे किसी ने बड़ा मुद्दा नहीं माना. अब कब एनर्जी कैपेसिटी की बैटरी तो खत्म होनी ही थी. 17 सितंबर 2024 को लेबनान के दक्षिणी इलाके और बेरूत में हजारों हिज्बुल्लाह लड़ाकों के पेजर फट पड़े. पेजर पर एक मैसेज आया. बीप की आवाज आई. जैसे ही मैसेज खोला गया. पेजर फट गया. 

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जिनके पास पेजर फटे, उनकी उंगलियां, आंख, पेट या प्राइवेट पार्ट्स में जख्म हुआ है. पेजर अटैक के बाद वॉकी-टॉकी से हमला हुआ. कुल मिलाकर 39 लड़ाके मारे गए. 3400 से ज्यादा हिज्बुल्लाह लड़ाके जख्मी हुए. इजरायल ने आजतक ये बात नहीं कबूली है कि ये हमला उसी ने करवाया था. लेकिन लेबनान यही आरोप लगा रहा है. साथ ही पूरी दुनिया भी ये मानती है कि ये काम इजरायल का ही हो सकता है. 

कमजोर कड़ी... LI-BT783, ऐसा कुछ बाजार में था ही नहीं

एजेंट्स ने हिज्बुल्लाह और दुनिया को बेवकूफ बनाने के लिए बैकस्टोरी भी बनाई. नए प्रोडक्ट के लिए ऑनलाइन स्टोर्स बनाए, पुराने पेज क्रिएट गए. पोस्ट डाले गए. ताकि हिज्बुल्लाह के लोगों को आसानी से बेवकूफ बनाया जा सके. इस वेब आर्काइव तक रॉयटर्स ने जांच-पड़ताल की. अब आते हैं कमजोर कड़ी पर... 

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बाहर से देखने पर पेजर का पावर हाउस यानी बैटरी एकदम सामान्य दिख रही थी. जैसे स्टैंडर्ड लीथियम-आयन बैटरी दिखती है. बैटरी पर लेबल ता LI-BT783. यहीं पर थी कमजोर कड़ी. पेजर की तरह ये बैटरी मार्केट में थी ही नहीं. न ही उसका कोई ऑनलाइन पेज था. इसलिए इसकी भी बैकस्टोरी बनाई गई. 

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बैकस्टोरी बनाना जासूसी की सबसे बेसिक कलाओं में से एक 

एक पूर्व इजरायली जासूस ने बताया कि बैकस्टोरी बनाना जासूसी की सबसे पहली कलाओं में से एक है. हर जासूस इस काम को करता है. हिज्बुल्लाह इतनी आसानी से कोई चीज नहीं खरीदता. वह भी इतने बड़े पैमाने पर. हर चीज की जांच-पड़ताल करता है. इसलिए हिज्बुल्लाह लड़ाकों को AR-924 मॉडल पेजर दिखाया गया. जो ताइवानी कंपनी गोल्ड अपोलो से लाइसेंस लेकर बनाया गया था. अब ये कंपनी तो फेमस है. 

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बाएं- गोल्ड अपोलो के चेयरमैन सू चिंग-कुआंग और दाहिने टेरेसा वू. 

गोल्ड अपोलो चेयरमैन Hsu Ching-kuang ने कहा कि तीन साल पहले उनकी पूर्व कर्मचारी टेरेसा वू और उसके बॉस 'टॉम' के साथ आई थी. ताकि लाइसेंस एग्रीमेंट हो सके. उसके बॉस के बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं है. लेकिन टेरेसा की वजह से हमने पेजर बनाने और बांटने का लाइसेंस दे दिया. इस बात का पता नहीं चल पाया है कि टेरेसा वू इजरायली एजेंसी के साथ काम कर रही थी या उसका बॉस टॉम. 

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