IIT दिल्ली और भारतीय वायुसेना के हेडक्वार्टर मेंटेनेंस कमांड, नागपुर ने एक महत्वपूर्ण समझौता किया है. इसके तहत अब दोनों मिलकर एयरफोर्स के लिए एक खास तरह के सेफ्टी टेक्सटाइल पर रिसर्च करेंगे. यह रिसर्च मुख्य रूप से पैराशूट और अन्य सेफ्टी इक्विपमेंट्स पर आधारित होगी जिनका इस्तेमाल हवाई सुरक्षा के लिए किया जाता है.
इस साझेदारी का मकसद आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर पुराने उपकरणों को बदलना और देश को आत्मनिर्भर बनाना है. इसके साथ ही अपग्रेडेशन और डिजिटल टेक्नोलॉजी का भी इसमें अच्छा खासा योगदान रहने वाला है. इस रिसर्च के जरिए ऐसे प्रोडक्ट्स तैयार किए जाएंगे जो एयरफोर्स की जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा कर सकेंगे.
वायुसेना के ग्रुप कैप्टन प्रशांत पाठक ने बताया कि इस रिसर्च का एक बड़ा हिस्सा पैराशूट और सेफ्टी इक्विपमेंट्स के लिए सही मटेरियल का चयन करना है. इसके साथ ही इन प्रोडक्ट्स की क्वालिटी चेक करने के लिए नई और उन्नत टेक्नोलॉजी विकसित की जाएगी जिससे इनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
इस रिसर्च में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोटिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया जाएगा. इसका मकसद पैराशूट और अन्य सेफ्टी इक्विपमेंट्स की क्वालिटी को और भी बेहतर बनाना है. इसके अलावा मशीन लर्निंग की मदद से तैयार की गई इमेजिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा जो पैराशूट और उनके पार्ट्स की टेस्टिंग, रिपेयर और लाइफ एक्सटेंशन में मदद करेगी.
IIT दिल्ली के एसोसिएट डीन, राजेंद्र सिंह ने इस समझौते को भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए एक अहम कदम बताया. उन्होंने कहा कि आईआईटी की रिसर्च और वायुसेना के व्यावहारिक अनुभव के मिलन से हम उच्च गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट्स बना सकते हैं. इससे न सिर्फ एयरफोर्स को नई तकनीक से लैस उपकरण मिलेंगे, बल्कि भारत की डिफेंस इंडस्ट्री भी और मजबूत होगी.
यह साझेदारी एयरफोर्स को बेहतरीन सेफ्टी प्रोडक्ट्स देने के साथ-साथ भारत को इस खास टेक्सटाइल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करेगी.