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समंदर से दूर रहेंगे भारत के दुश्मन... तीन और कलवारी क्लास पनडुब्बियां हो सकती हैं नौसेना में शामिल

समंदर के अंदर भारतीय नौसेना की ताकत को और बढ़ाने की तैयारी चल रही है. इस साल के अंत तक तीन और कलवारी क्लास पनडुब्बियों को इंडियन नेवी के लिए बनाना शुरू किया जाने वाला है. इन अटैक सबमरीन्स को मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड में बनाया जाएगा. फ्रांसीसी नेवल ग्रुप इस प्रोजेक्ट में साथ दे रहा है.

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तीन और कलवारी क्लास पनडुब्बियों के शामिल होने से भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा.
तीन और कलवारी क्लास पनडुब्बियों के शामिल होने से भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा.

भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए पनडुब्बियों की फ्लीट में तीन और कलवारी क्लास अटैक पनडुब्बियों को शामिल करने की तैयारी चल रही है. इन पनडुब्बियों को शामिल करने से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. साथ ही चीन और पाकिस्तान समंदर में अपना सिर उठाने की हिमाकत नहीं कर पाएंगे. 

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इन तीनों पनडुब्बियों को मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) में बनाया जाएगा. इसें उसकी मदद के लिए फ्रेंच नेवल ग्रुप सामने आ रहा है. भारतीय नौसेना के पास इस क्लास की छह सबमरीन्स पहले से हैं. नई कलवारी क्लास पनडुब्बियां पिछली पनडुब्बियों से आकार में 10 मीटर बड़ी होंगी. ज्यादा एडवांस और ताकतवर होंगी. 

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Three New Kalvari Class Submarines, Indian Navy

नई पनडुब्बियों की लंबाई इसलिए बढ़ाई जा रही है ताकि उसमें डीआरडीओ द्वारा बनाया गया फ्यूल सेल बेस्ड एयर इंडिपेंडेट प्रोप्लशन मॉड्यूल लगाया जा सके. इसमें लीथियम-आयन बैटरियां लगाई जाएंगी. साथ ही ज्यादा बेहतर नेविगेशन सिस्टम, कम्यूनिकेशन सिस्टम लगाए जाएंगे. ये सभी के सभी भारतीय होंगे. 

नई कलवारी क्लास अटैक पनडुब्बी की पहले सबमरीन को बनने में कम से कम छह साल लगेंगे. पर इससे पहले जानते हैं कि कलवारी क्लास पनडुब्बियों की ताकत क्या है? 

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जासूसी हो या जंग... दोनों में घातक हैं ये पनडुब्बियां

पुरानी कलवारी क्लास पनडुब्बियों को प्रोजेक्ट-75 के तहत बनाया गया था. इन पनडुब्बियों में दुश्मन के रडार को धोखा देने की ताकत है. एरिया सर्विलांस कर सकती है. जासूसी कर सकती है. इसमें एडवांस्ड एकॉस्टिक साइलेंसिंग तकनीक लगी है. यानी पानी में चलते समय इसमें से आवाज नहीं आती. 

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Three New Kalvari Class Submarines, Indian Navy

दुश्मन ने चालाकी की तो यह घातक तरीके से हमला करने की ताकत भी रखती है. इसके अलावा कई तरह के युद्धों और मिशन में भाग ले सकती है. जैसे- सतह-विरोधी युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करना, समुद्री बारूदी सुरंग बिछाना, क्षेत्र की निगरानी आदि.  

रेंज तय होता है गति के मुताबिक, लंबाई में इजाफा होगा

कलवारी क्लास की इस पनडुब्बी की लंबाई करीब 221 फीट, बीम 20 फीट और ऊंचाई 40 फीट है. इनमें 4 एमटीयू 12V 396 SE84 डीजल इंजन लगे होते हैं. इसके अलावा 360 बैटरी सेल्स होते हैं. पानी की सतह पर यह अधिकतम 20km/घंटा और पानी के अंदर 37km/घंटा की रफ्तार से चल सकती है. 

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इनकी रेंज इनकी गति के मुताबिक तय होती है. अगर यह सतह पर 15 km/hr की रफ्तार से चल रही है, तो यह 12 हजार km तक चल सकती है. पानी के अंदर यह 1020 किलोमीटर की रेंज तक जा सकती है लेकिन गति 7.4 km/hr होनी चाहिए. ये पनडुब्बियां 50 दिनों तक पानी के अंदर बिता सकती है. 

350 फीट की गहराई तक जा सकती हैं, 43 नौसैनिक हो सकते हैं तैनात

ये पनडुब्बियां अधिकतम 350 फीट की गहराई जा सकती है. इसमें 8 सैन्य अधिकारी और 35 सेलर तैनात किए जा सकते हैं. इनके अंदर एंटी-टॉरपीड काउंटरमेजर सिस्टम लगा है. इसके अलावा 533 मिमी के 6 टॉरपीडो ट्यूब्स होते हैं, जिनसे 18 एसयूटी टॉरपीडोस या एसएम.39 एक्सोसेट एंटी-शिप मिसाइल लॉन्च की जा सकती हैं. इसके अलावा यह पानी के अंदर 30 समुद्री बारूदी सुरंग बिछा सकती है. पुरानी कलवारी क्लास पनडुब्बियों में छह पनडुब्बियां हैं. ये हैं- INS कलवारी, खंडेरी, करंज, वेला, वागीर और वागशीर.

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