भारतीय सेना को 70 हजार और सिग सॉर सिग-716 असॉल्ट राइफल (Sig Sauer Sig-716 Assault Rifle) मिलने वाली है. ये राइफल चीन और पाकिस्तान सीमा पर फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनात सैनिकों को दी जाएंगी. इससे पहले 2019 में 72 हजार से ज्यादा सिग सॉर असॉल्ट राइफल्स मंगाई गई थीं.
इस गन की खासियतों की वजह से ही इसे जम्मू और कश्मीर में आतंकियों से भिड़ने के लिए शामिल किया गया था. इस राइफल के शामिल होने से इनसास राइफलों को हटाया जा सकेगा. क्योंकि उसमें 5.56x45mm की गोलियां लगती थी. इस गन में 7.62x51mm की गोलियां लगती हैं. ये ज्यादा ताकतवर गोलियां होती हैं.
Sig-716 अमेरिका और स्विट्जरलैंड में बनती है. यह ऑटोमैटिक असॉल्ट राइफल है. इसकी रेंज लंबी है. सटीकता 100 फीसदी है. इसकी मदद से स्नाइपर हमला भी किया जा सकता है. राइफल की कुल लंबाई 34.39 इंच है. इसकी बैरल यानी नली की लंबाई 15.98 इंच है. इसका कुल वजन 3.58 किलोग्राम होता है.
यह गैस ऑपरेटेड रोटेटिंग बोल्ट सिस्टम वाली राइफल है. इसमें 7.62x51mm NATO ग्रेड की गोलियां लगती हैं. इसकी एक मैगजीन में 20 गोलियां आती हैं. इसके ऊपर एडजस्टेबल फ्रंट और रीयर ऑप्टिक्स लगा सकते हैं. ताकि दूर बैठे दुश्मन को भी मार गिरा सकें. इसकी रेंज 600 मीटर यानी करीब 1970 फीट होती है.
Sig-716 राइफल हर मिनट 685 राउंड फायरिंग कर सकती है. दुनियाभर में इसके चार वैरिएंट मौजूद है. जैसे- Sig 716 CQB... ये राइफल नजदीकी लड़ाई के लिए बनाई गई है. इसका आकार छोटा है. Sig-716 Carbine यह कार्बाइन का फॉर्मेट है. Sig-716 Patrol Rifle यानी ओरिजनल लेंथ वाली राइफल.
Sig-716 प्रेसिशन मार्क्समैन... यह वैरिएंट भारी होता है. इसकी बैरल की लंबाई 20 इंच होती है. यानी स्नाइपर के लिए बेहतरीन. यह सेमी-ऑटोमैटिक फॉर्मैट में आती है. यानी भारतीय सेना के पास दो खतरनाक राइफलों का लीथल कॉम्बीनेशन है.
दूसरी खतरनाक राइफल है AK-203 जिसका निर्माण भारत में ही हो रहा है. भारतीय सेना ने 7 लाख AK-203 का ऑर्डर दिया है. ताकि सैनिकों को दुश्मन पर फायरिंग करते समय किसी तरह की दिक्कत न हो.