भारत के पहले स्वदेशी हल्के टैंक जोरावर (Zorawar) के डेवलपमेंट ट्रायल्स शुरू हो चुका है. DRDO को उम्मीद है कि अप्रैल तक इसके यूजर ट्रायल भी शुरू हो जाएंगे. ये ट्रायल भारतीय सेना करेगी. रक्षा अधिकारियों ने बताया है कि इसमें इंजन लग चुके हैं. इसे फिलहाल 100 किलोमीटर तक चलाकर देखा गया है.
भारतीय सेना ने डीआरडीओ को 59 जोरावर टैंक बनाने का ऑर्डिर दिया था. यह टैंक L&T बना रहा है. डिजाइन DRDO ने बनाया है. इसके अलावा 259 लाइट टैंक्स की डिमांड और है जिसके लिए सात से आठ कंपनियां कॉम्पीटिशन में हैं. भारतीय सेना इस टैंक को लद्दाख में चीन सीमा के पास तैनात करने की तैयारी में है.
ज़ोरावर को पंजाबी भाषा में बहादुर कहते हैं. यह एक आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल है. इसे इस तरह से बनाया जाएगा कि इसके कवच पर बड़े से बड़े हथियार का असर न हो. इसके अंदर बैठे लोग सुरक्षित रहे. इसकी मारक क्षमता घातक हो. साथ ही यह बेहतर स्पीड में चल सके. अंदर आधुनिक संचार तकनीक लगाई जाएगी.
25 टन का हल्का टैंक, चलाएंगे सिर्फ तीन लोग
ज़ोरावर टैंक को DRDO ने डिजाइन किया है. यहां तस्वीरों में उसी टैंक के मॉडल हैं. इसे बनाने का काम लार्सेन एंड टुर्बो को दिया गया है. भारतीय सेना को ऐसे 350 टैंक्स की जरुरत है. ये टैंक मात्र 25 टन के होंगे. इन्हें चलाने के लिए सिर्फ तीन लोगों की जरूरत होगी.
चीन-सिख युद्ध के योद्धा के नाम पर दिया गया नाम
इस टैंक का नाम जनरल ज़ोरावर सिंह कहलूरिया के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1841 में चीन-सिख युद्ध के समय कैलाश-मानसरोवर पर मिलिट्री एक्सपेडिशन किया था. भारत पहले ऐसे टैंक्स रूस से खरीदना चाहती थी. लेकिन बाद में इसे देश में बनाने का फैसला लिया गया. असल में यह देश का पहला ऐसा टैंक होगा, जिसे माउंटेन टैंक बुला सकते हैं.
Indian light tank Zorawar begins trials, expected to be ready for user tests by April
— ANI Digital (@ani_digital) January 12, 2024
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इसे हेलिकॉप्टर से कहीं भी ले जाया जा सकेगा
हल्का होने की वजह से इसे उठाकर कहीं भी पहुंचाया जा सकेगा. इसकी नाल 120 मिलिमीटर की होगी. ऑटोमैटिक लोडर होगा. रिमोट वेपन स्टेशन होगा, जिसमें 12.7 mm की हैवी मशीन गन लगाई जाएगी. 2024 तक इसके ट्रायल्स चलेंगे. फिर सेना को सौंपा जाएगा.
चीन ने भी सीमा पर हल्के टैंक तैनात किए हैं
ज़ोरावर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन इंटीग्रेशन, एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम, हाई डिग्री ऑफ सिचुएशनल अवेयरनेस जैसी तकनीके भी होंगी. साथ ही इसमें मिसाइल फायरिंग की क्षमता होगी. दुश्मन के ड्रोन्स को मार गिराने के यंत्र, वॉर्निंग सिस्टम भी लगे होंगे. चीन ने अपनी तरफ जो टैंक लगाए हैं, वो 33 टन से कम वजन के हैं. उन्हें आसानी से एयरलिफ्ट किया जा सकता है.