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Indian Navy Admiral Epaulettes: बदल गई भारतीय नौसेना के एडमिरल के कंधों पर लगने वाले एपोलेट्स की डिजाइन, छत्रपति शिवाजी महाराज की राजमुद्रा से प्रेरित

भारतीय नौसेना के एडमिरल के कंधों पर अब नए एपोलेट्स दिखाई पड़ेंगे. इन एपोलेट्स को छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना के एनसाइन और राजमुद्रा से प्रेरित होकर बनाया गया है. PM Narendra Modi ने नौसेना दिवस पर सिंधुदुर्ग में यह घोषणा की थी. जिसे अब लागू कर दिया गया है. आइए जानते हैं किस तरह की डिजाइन होगी नए एपोलेट्स की...

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ये है भारतीय नौसेना के एडमिरल के कंधों पर लगने वाले एपोलेट्स की नई डिजाइन. (सभी फोटोः Indian Navy)
ये है भारतीय नौसेना के एडमिरल के कंधों पर लगने वाले एपोलेट्स की नई डिजाइन. (सभी फोटोः Indian Navy)

PM Narendra Modi ने नौसेना दिवस (Navy Day) पर घोषणा की थी कि सभी एडमिरल के कंधों पर नए डिजाइन के एपोलेट्स होंगे. ये एपोलेट्स छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना के एनसाइन और राजमुद्रा से प्रेरित हैं. मोदी ने कहा था कि हमें भारतीय परंपराओं के अनुरूप दिखना है. काम करना है. ब्रिटिश शासन के समय की चीजों को खत्म करेंगे. गुलामी की मानसिकता से मुक्ति हासिल करेंगे. अपनी विरासत पर गर्म करने का समय आ गया है. 

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नौसेना के पांच एडमिरल पदों के लिए एपोलेट्स कुछ इस तरह के दिखाई देंगे. 

Indian Navy New Epaulettes

अगर आप नए एपोलेट्स देखेंगे तो आपको ये नए बदलाव देखने को मिलेंगे... 

गोल्डेन नेवी बटन... गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने की हमारी इच्छाशक्ति. 

ऑक्टागन... आठ दिशाओं को दिखाता है. ताकि चारों तरफ लंबे समय तक नजर रख सकें. 

Indian Navy New Epaulettes

तलवार... शक्ति, राष्ट्रीय ताकत और युद्धों को लड़ने की हमारी क्षमता को दिखाता है. हर चुनौती का सामना कर उसे हराने की क्षमता को दर्शाता है. 

टेलिस्कोप... यह दूरदृष्टि दिखाता है. लंबे समय तक हर मौसम में दुनिया में हो रहे बदलावों पर नजर रखने की क्षमता को दिखाता है. 

ये है पुराने एपोलेट्स की तस्वीर... अंतर साफ दिखाई देता है

Old Admiral Epaulettes of Indian Navy
बाएं से दाएं... एडमिरल, वाइस एडमिरल और रीयर एडमिरल के पुराने एपोलेट्स. (फोटोः विकिपीडिया)

नौसेना दिवस पर क्या-क्या कहा था पीएम मोदी ने 

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Navy Day पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारतीय नौसेना अपने रैंकों का नाम अब भारतीय परंपराओं के अनुरूप रखेगी. उन्होंने कहा था कि हम ब्रिटिश काल के रैंक्स को बदलेंगे. उसकी जगह भारतीय नाम रखे जाएंगे. हम छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित हैं. हम उन्हीं की तरह गुलामी बर्दाश्त नहीं कर सकते. हमें इस मानसिकता से बाहर आना होगा. इसलिए ऐसे नाम और प्रतीकों को खत्म करना होगा, जो गुलामी की प्रथा को जीवित रखे हैं. 

प्रधानमंत्री ने शिवाजी की उद्घोषणा को दोहराते हुए कहा कि जिनका समुद्र पर नियंत्रण है, वे ही अंतिम शक्ति रखते हैं. नौसेना अधिकारियों द्वारा पहने जाने वाले एपोलेट्स में अब छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की विरासत की झलक दिखाई देगी क्योंकि नए एपोलेट्स नौसेना के ध्वज के समान होंगे. 

इन रैंक्स के नाम पहले बदले जा सकते हैं

ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय नौसेना के जूनियर और नॉन कमीशन्ड रैंक्स के नाम पहले बदले जा सकते हैं. ये हैं मास्टर चीफ पेटी ऑफिसर फर्स्ट क्लास, मास्टर चीफ पेटी ऑफिसर सेकेंड क्लास, चीफ पेटी ऑफिसर, पेटी ऑफिसर, लीडिंग सीमैन, सीमैन फर्स्ट क्लास और सीमैन सेकेंड क्लास. इन रैंक्स के नाम बदलने का असर नौसेना के 65 हजार नौसैनिकों से ज्यादा पर पड़ेगा. लेकिन अधिकारियों के नाम फिलहाल वैसे ही रहेंगे, जैसे अभी हैं. 

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Indian Navy New Epaulettes

क्या होगा तरीका नाम बदलने का... 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि किस तरह के नाम रखे जाएंगे. लेकिन इसके लिए दो तरह के ट्रेंड फॉलो किया जा सकता है. 

पहला... अग्निवीर और वायुवीर की तरह... जलवीर, समुद्रवीर या सागरवीर. 

दूसरा... प्रधानमंत्री मोदी ने नौसेना दिवस पर छत्रपति शिवाजी महाराज के समय की मराठी नौसेना और उनके योद्धाओं का जिक्र किया. उन्हें नमन किया. उनकी तकनीकों और युद्धों को याद किया. संभव है कि मराठा नौसेना (Maratha Navy) के जो रैंक्स रहे हों... उनके नाम पर इंडियन नेवी के रैंक्स के नाम बदले जाएं. 

मराठा नौसेना में किस पद को क्या कहते थे? 

महा-नौसेनाध्यक्ष/Grand Admiral... सरखेल या सरसुभेदार. ये पद 1698 के बाद कान्होजी आंग्रे के लिए था. मराठा नौसेना के सभी रैंक्स को संभाजी ने नाम दिया था. 
नौसेनाध्यक्ष/Admiral... सुभेदार.
सीनियर कैप्टन-कोमोडोर/Senior Captain-Commodore... सरदार. 

Indian Navy New Epaulettes

निचले स्तर के नौसैनिक तीन कैडर में बांटे गए थे

खलाशी... Sailors
शिपाई... Soldiers
गोलंदाज... Gunners

सेलर रैंक इस हिसाब से थे 

चीफ पेटी ऑफिसर... सरतांडेल, यह जहाज का कैप्टन या मास्टर होता था. 
पेटी ऑफिसर... तांडेल, यह जहाज के क्रू का लीडर होता था.
नेविगेटर... सारंग, यह तांडेल के पद के बराबर होता था. 

मरीन रैंक में दो कैडर थे

कार्पोरल.... नाईक
सोल्जर... शिपाई

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मराठा नौसेना में गनर यानी गोलंदाज की कीमत सबसे ज्यादा होती थी. निचले रैंक्स में उसे जहाज पर सबसे ज्यादा सैलरी मिलती थी. ऐसा कहा जाता है कि उस समय सुहूर सन यानी 1782 से 83 के फाइनेंशियल ईयर में खलाशी की तनख्वाह 61.5 रुपए प्रतिवर्ष थी. शिपाई की 65 रुपए प्रतिवर्ष और गोलंदाज की 67.8 रुपए प्रतिवर्ष थी. 

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