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रूस को हल्के में ले रहे हैं अमेरिका-यूक्रेन-नाटो... जानिए क्या कहते हैं इंडियन एक्सपर्ट?

क्या यूक्रेन को लेकर पश्चिमी देशों ने रूस की चेतावनी को हल्के में ले लिया है? क्योंकि रूस कई बार धमकी दे चुका है. हद पार करने की बात कह चुका है. लेकिन पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी. असल में इस मामले को लेकर भारतीय एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

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यूक्रेन लगातार रूस के खिलाफ MLRS का इस्तेमाल करता जा रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)
यूक्रेन लगातार रूस के खिलाफ MLRS का इस्तेमाल करता जा रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)

सिर्फ दुनिया को ही नहीं बल्कि भारत को भी इस बात की चिंता है कि रूस की चेतावनियों को यूक्रेन, अमेरिका, नाटो और अन्य देश गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. अमेरिका ने यूक्रेन को ATACMS मिसाइल के इस्तेमाल की जो अनुमति दी है, उससे मामला बेहद गंभीर हो जाएगा. व्लादिमीर पुतिन बिगड़े तो पूरी दुनिया पर बुरा असर पड़ेगा. 

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स्पुतनिक इंडिया से बात करते हुए भारतीय रक्षा एक्सपर्ट्स ने रूस की चेतावनियों को गंभीरता से लेने की बात कही है. रिटायर्ड एयर मार्शल एम माथेश्वरन ने कहा कि अमेरिका और यूक्रेन के इस फैसले में काफी खतरा है. यूक्रेन की लंबी दूरी की मिसाइलों का हमला बिना सैटेलाइट डेटा और पश्चिमी देशों के टेक्निकल सपोर्ट के संभव नहीं है. 

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Russian Ukraine War, Nuclear War

माथेश्वरन ने कहा कि अमेरिका के इस फैसले को देख कर लगता है कि नाटो बेहद धीमे-धीमे इस जंग का बड़ा हिस्सेदार बनता जा रहा है. इसकी वजह से रूस भड़क सकता है. वह भी अपने खतरनाक हथियारों का जखीरा खोल सकता है. अगर रूस ने परमाणु हथियारों को जंग में उतार दिया तो नुकसान पूरी दुनिया को झेलना होगा. 

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रिटायर्ड मेजर जनरल शशिभूषण अस्थाना ने कहा कि अमेरिका की ये स्ट्रैटेजी ठीक नहीं है. इससे भविष्य में ट्रंप की सरकार शांति स्थापित नहीं कर पाएगी. बाइडेन चुनाव हारने के बाद यूक्रेन और रूस की जंग को अलग खतरनाक मुकाम पर ले जाना चाहते हैं. दोनों ही डिफेंस एक्सपर्ट्स ने कहा कि पश्चिमी देशों ने दो बातों का ध्यान नहीं रखा. 

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पहला... रूस की चेतावनियों की बेइज्जती की. यानी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार चेतावनी देते आ रहे हैं कि नाटो अगर गाइडेड लॉन्ग रेंज वेपन का इस्तेमाल करता है, तो नुकसान झेलना होगा. इस चेतावनी को दरकिनार करना मतलब ये है कि आप रूस को लगातार भड़काने का काम कर रहे हैं. 

दूसरा... जंग के मैदान में नुकसान का आंकलन नहीं. यानी लंबी दूरी के हथियारों से दोनों तरफ को नुकसान ज्यादा होगा. जबकि अभी सबको टैक्टिकल फायदा दिख रहा है. रूस के पास न तो हथियारों की कमी है, न ही जवाब देने की क्षमता की. अगर उसने तगड़ा जवाब दिया तो काफी ज्यादा मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. 

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