scorecardresearch
 

इंडियन नेवी को जल्द मिलेगी हंटर-किलर सबमरीन, समंदर में कम होगी चीन की हेकड़ी

भारत की हंटर-किलर सबमरीन INS Vaghsheer अगले साल जनवरी में भारतीय नौसेना में शामिल होने वाली है. इसे भारत के प्रोजेक्ट 75 के तहत बनाया जा रहा है. पिछले साल 18 मई से इसके समुद्री ट्रायल्स चल रहे थे. आईएनएस तुशिल युद्धपोत के बाद वाघशीर के आने से भारत की समुद्री ताकत बढ़ जाएगी.

Advertisement
X
भारतीय नेवी के लिए आईएनएस वाघशीर के समुद्री ट्रायल्स पूरे होने वाले हैं. अब उसे नौसना को सौंप दिया जाएगा.
भारतीय नेवी के लिए आईएनएस वाघशीर के समुद्री ट्रायल्स पूरे होने वाले हैं. अब उसे नौसना को सौंप दिया जाएगा.

भारतीय नौसेना के लिए तैयार की गई हंटर-किलर पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर (INS Vagsheer) जनवरी 2025 में नौसेना में शामिल हो सकती है. पिछले साल 18 मई से चल रहे इसके समुद्री परीक्षण पूरे होने वाले हैं. कलवारी क्लास की यह पनडुब्बी प्रोजेक्ट 75 के तहत बनाई गई है. ये इस क्लास की छठी सबमरीन है. 

Advertisement

पनडुब्बी को 20 अप्रैल 2022 को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के कान्होजी आंग्रे वेट बेसिन से समुद्र में उतारा गया था. आईएनएस वागशीर एक डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है. बेहद आधुनिक नेविगेशन और ट्रैकिंग सिस्टम्स से लैस है. इसके साथ ही इसमें कई तरह के हथियारों को भी शामिल किया गया है. 

यह भी पढ़ें: चीन से खतरा... सीरिया में तबाही मचाने के बाद फिलीपींस में तैनात हुआ अमेरिका का Thunderbolt अटैक विमान

प्रोजेक्ट-75 के तहत अभी तक 5 आधुनिक पनडुब्बी भारत की रक्षा में तैनात हैं. इस पनडुब्बी के शामिल होने के बाद भारतीय समुद्री क्षेत्र (Indian Ocean Region - IOR) में भारत की ताकत बढ़ जाएगी. वाघशीर कई मिशन कर सकती है. जैसे सतह-विरोधी युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी जमा करना, समुद्री बारूदी सुरंग बिछाना, क्षेत्र की निगरानी आदि. पनडुब्बी को ऑपरेशन के समय हर परिस्थिति में संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है. 

Advertisement

INS Vagsheer Indian Navy

जानिए इस सबमरीन की खासियत... 

इसकी लंबाई लगभग 221 फीट, बीम 20 फीट और ऊंचाई 40 फीट होती है. इनमें 4 एमटीयू 12V 396 SE84 डीजल इंजन लगे होते हैं. इसके अलावा 360 बैटरी सेल्स होती हैं. सतह पर इसकी गति 20 km/hr है. पानी के अंदर ये 37 km/hr की अधिकतम स्पीड से चलेगी. इसकी रेंज गति के मुताबिक तय होती है. अगर सतह पर 15 km/hr की रफ्तार से चल रही है, तो यह 12,000 km तक जा सकती है. पानी के अंदर यह 1020 KM की रेंज तक जा सकती है लेकिन गति 7.4 KM प्रतिघंटा होनी चाहिए. 

यह भी पढ़ें: 16 करोड़ km दूर मंगल पर हुए हेलिकॉप्टर हादसे की जांच पूरी, NASA का हैरान करने वाला खुलासा

30 समुद्री सुरंगें बिछाने में उस्ताद

यह 50 दिनों तक पानी के अंदर बिता सकती है. अधिकतम 350 फीट की गहराई जा सकती है. इसमें 8 सैन्य अधिकारी और 35 सेलर तैनात किए जा सकते हैं. इनके अंदर एंटी-टॉरपीड काउंटरमेजर सिस्टम लगा है. इसके अलावा 533 मिमी के 6 टॉरपीडो ट्यूब्स होते हैं, जिनसे 18 एसयूटी टॉरपीडोस या एसएम.39 एक्सोसेट एंटी-शिप मिसाइल लॉन्च की जा सकती हैं. 

INS Vagsheer Indian Navy

कलवारी क्लास की पनडुब्बियां

इसके अलावा यह पानी के अंदर 30 समुद्री बारूदी सुरंग बिछा सकती है. आईएनएस वाघशीर के शामिल होने के बाद कलवारी क्लास की छह अटैक सबमरीन हो जाएंगी. इस क्लास में आईएनएस कलवारी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज, आईएनएस वेला और आईएनएस वागीर लॉन्च की जा चुकी हैं. 

Advertisement

भविष्य की क्या है तैयारी? 

नौसेना प्रोजेक्ट-75आई के तहत छह नई सबमरीन बनवाएगा. ये एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) से ताकत लेकर चलने वाली होंगी. ये लंबे समय तक पानी के अंदर टिक सकेंगी. भारत ने अपनी दो न्यूक्लियर अटैक सबमरीन के लिए भी इसका अप्रूवल दिया है. 

AIP क्यों है जरूरी? 

AIP से लैस सबमरीन पानी के अंदर लंबे समय तक रह सकती है. ये ज्यादा खुफिया हो जाती हैं. इन्हें राडार पर पकड़ना मुश्किल हो जाता है. जिसकी वजह से ये ज्यादा घातक हो जाती हैं. चीन की बढ़ती नौसैनिक ताकत को काउंटर करने के लिए भारतीय समुद्री क्षेत्र में ऐसी सबमरीन का होना जरूरी है. 

Live TV

Advertisement
Advertisement