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INS Surat: इंडियन नेवी को मिलने वाला है नया विध्वंसक जंगी जहाज... आईएनएस सूरत का समुद्री ट्रायल शुरू

भारतीय नौसेना को बहुत जल्द नया विध्वंसक जंगी जहाज मिलने वाला है. विशाखापट्टनम क्लास मिसाइल डेस्ट्रॉयर INS Surat का समुद्री ट्रायल शुरू हो चुका है. अगले साल यह नौसेना में शामिल हो जाएगा. इसके बाद भारत की समुद्री ताकत और बढ़ जाएगी. इसमें बराक और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें लगी होंगी.

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ये विशाखापट्टनम क्लास का गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर आईएनएस सूरत.
ये विशाखापट्टनम क्लास का गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर आईएनएस सूरत.

भारतीय नौसेना के लिए खुशखबरी है. विशाखापट्टनम क्लास विध्वंसक INS Surat का समुद्री ट्रायल शुरू हो चुका है. अगले साल यानी 2025 में इसे सेना में कमीशन कर लिया जाएगा. इसकी लॉन्चिंग 17 मई 2022 को हुई थी. इस साल यह पूरी तरह से तैयार हो जाएगा. इसके शामिल होने से नौसेना की ताकत में कई गुना का इजाफा होगा.  

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इस युद्धपोत का नाम गुजरात के सूरत शहर रखा गया है. हालांकि कई अन्य शहरों के नाम पर भी युद्धपोतों, विध्वंसकों और फ्रिगेट्स के नाम रखे जा चुके हैं. जानकारी के मुताबिक इसे देश के पूर्वी तट पर विशाखापट्टनम में तैनात किया जाएगा. नौसेना ने कोलकाता क्लास विध्ंवसकों को अपग्रेड करके उसका नाम विशाखापट्नम क्लास विध्वंसक कर दिया है. 

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INS Surat, Indian Navy, Guided Missile Destroyer
ये है विशाखापट्टनम क्लास गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर. ऐसे ही इस क्लास के सभी विध्वंसक हैं. 

प्रोजेक्ट का नाम है पी-15 ब्रावो-क्लास या P15-B. यह एक गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर है. इसमें चार डेस्ट्रॉयर्स बनने थे. विशाखापट्ट्नम क्लास के सभी डेस्ट्रॉयर्स लगभग एक ही आकार के हैं. INS Surat इस सीरीज का आखिरी विध्वंसक है. 

56 km/hr की स्पीड, 45 दिन समंदर में रहने की क्षमता

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यह 7400 टन का है. इसकी लंबाई 163 मीटर और गति करीब 56 km/hr होगी. इस पर चार इंटरसेप्टर बोट के साथ 50 अफसर और 250 नौसैनिक रह सकते हैं. यह एक बार में 7400 km की यात्रा कर सकता है. करीब 45 दिनों तक समुद्र में रह सकता है. 

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बराक-ब्रह्मोस होंगे तैनात, दुश्मन की हालत होगी पस्त

INS Surat पर बराक-8, ब्रह्मोस, एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर, तोप समेत कई अत्याधुनिक हथियारों के लगाए जाने की सूचना है. इसमें एंटी एयर वॉरफेयर के लिए 32 बराक-8 मिसाइल तैनात की जा सकती हैं. एंटी-सरफेस वॉरफेयर के लिए 16 ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइलें तैनात हो सकती है. एंटी-सबमरीन वॉरफेयर के लिए 533 मिमी की 4 टॉरपीडो ट्यूब्स या फिर 2 आरबीयू-6000 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स तैनात किए जा सकते हैं. 

पुराने कोलकाता क्लास से कैसे अलग है ये युद्धपोत?

P-15A प्रोजेक्ट की तुलना में P-15B में पांच बड़े अंतर हैं. पहला ये कि इसमें 127 मिमी की Mk-45 नेवल गन लगी है. हालांकि इस दौड़ में OTO Melara 76 mm गन भी शामिल है. सोनार सिस्टम को हल से हटाकर बो तक लाया गया है. राडार का निगरानी में आने से बचने के लिए ब्रिज लेआउट और मास्ट डिजाइन को बदला गया है. रेल-लेस हेलिकॉप्टर ट्रेवर्सिंग सिस्टम लगाए गए हैं, ताकि खराब मौसम में हेलिकॉप्टरों को नुकसान न हो. शिप डेटा नेटवर्क, ऑटोमैटिक पावर मैनेजमेंट सिस्टम और कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम अपग्रेड किया है. 

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अन्य शहरों के नाम पर बने युद्धपोत

INS विशाखपट्नम, INS कोलकाता, INS कोच्चि, INS चेन्नई, INS दिल्ली, INS मैसूर, INS मुंबई, INS करवार, INS काकीनाडा, INS कुडालोर, INS कन्नूर, INS कोंकण और INS कोझिकोड. ऐसे कई और इलाकों के नाम पर नौसेना ने अपने कॉर्वेट्स, फ्रिगेट्स, डेस्ट्रॉयर्स या अन्य जंगी या खोजी जहाजों का नाम रखा है.

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