ईरान ने इजरायल पर अपने लेवल पर शानदार हमला किया. सैकड़ों बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें दागी. सैकड़ों आत्मघाती ड्रोन्स से हमले किए. 331 प्रकार के हवाई हमले. लेकिन इजरायल अगर इस हमले का करारा जवाब देने पर आए तो क्या होगा. इजरायल की वायुसेना ईरान की तुलना में ज्यादा ताकतवर और एडवांस है.
इजरायल ये भी कर सकता है कि वो ईरान के परमाणु हथियारों के जखीरे और न्यूक्लियर पावर प्रोग्राम को टारगेट बना सकता है. वह भी नियंत्रित तरीके से, ताकि कोलेटरल डैमेज कम हो. अगर दोनों देशों की हवाई ताकत की बात करें तो इजरायल, ईरान से बहुत आगे है.
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जानिए दोनों देशों की हवाई ताकत के बारे में...
ईरान की वायुसेना के पास 551 एयरक्राफ्ट रिजर्व में हैं. जबकि, 358 एक्टिव हैं. वहीं इजरायल के पास 612 रिजर्व और 490 एक्टिव एयरक्राफ्ट हैं. ईरान के पास 186 फाइटर जेट्स हैं, जिनमें से 121 हर समय हमले के लिए तैयार रहते हैं. जबकि इजरायल के पास 241 फाइटर जेट्स हैं, जिनमें से 193 हमला के लिए रेडी रहते हैं. यानी इन मामलों में भी इजरायल ईरान से काफी आगे है.
ईरान के पास 86 ट्रांसपोर्ट विमान हैं, जिनमें से 56 एक्टिव हैं. इजरायल के पास 12 हैं, जिनमें से 10 एक्टिव सर्विस में हैं. दो स्टॉक में है. ईरान के पास 102 ट्रेनर्स हैं, इजरायल के पास 155 ट्रेनर्स एयरक्राफ्ट हैं. ईरान के पास 129 हेलिकॉप्टर्स हैं, जिनमें से 84 रेडी मोड हैं. जबकि इजरायल के पास 146 हेलिकॉप्टर्स हैं, जिनमें से 117 एक्टिव मोड में हैं. ईरान के पास 13 अटैक हेलिकॉप्टर हैं, जबकि इजरायल के पास 48.
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इजरायल के पास घातक स्टेल्थ फाइटर जेट F-35
इजरायल अपने क्षेत्रफल से आकार में कई गुना बड़े ईरान पर हमला करने के लिए अमेरिका से लिए स्टेल्थ फाइटर जेट F-35 की मदद ले सकता है. इजरायल सीरिया की सीमा के पास से अपने फाइटर जेट्स की उड़ान भरवा सकता है. जहां से उसके विमान सीरिया, तुर्की, सऊदी के आसमान से उड़कर ईरान तक पहुंचेंगे.
तीनों देश इजरायल के इस कदम का विरोध भी कर सकते हैं. लेकिन जिस तरह से ईरान ने रात में चुपके से हमला किया, वैसे इजरायल भी हमला कर सकता है. जिसकी भनक जब तक बाकी देशों को होगी. तब तक इसके फाइटर जेट्स सभी राडार को चकमा देते हुए ईरान को परमाणु संयंत्रों और हथियार डिपो को उड़ाकर चले आएंगे.
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क्या होगी इजरायल की चाल अगर हमला किया तो
इजरायल सबसे पहले प्रयास करेगा कि वह अयातुल्लाह के सभी एयर डिफेंस सिस्टम को खत्म करे. ताकि ईरानी न्यूक्लियर साइट्स तक पहुंच सके. इनकी जानकारी इजरायली जासूसी संस्था मोसाद और IDF इंटेलिजेंस जमा करेंगे. दोनों से मिली जानकारी के मुताबिक टारगेट सेट किए जाएंगे. मकसद होगा ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह से बर्बाद करना. इसमें इजरायल के कुछ फाइटर जेट्स गिराए भी जा सकते हैं.
इजरायल F-35 से बम गिराने से पहले एयर डिफेंस सिस्टम को उड़ाने के लिए F-15 Eagles, F-16 Fighting Falcons की कई लहर चलाएगा. यानी एक साथ ये फाइटर जेट्स ईरान के हवाई क्षेत्र में घुसकर एयर डिफेंस सिस्टम को खत्म करेंगे. इसके ठीक कुछ सेकेंड्स बाद ही F-35 फाइटर जेट्स से 5000 पाउंड के अमेरिकी जीबीयू-72 बम गिरा सकता है. या फिर 2000 पाउंड या उससे कम वजन के बम गिरा सकता है.
इसके ठीक बाद फिर F-15 और F-16 की एक फ्लीट फिर से ईरान पर डीप पेनेट्रेशन के लिए हमला कर सकती है. ताकि F-35 की सुरक्षा बनी रहे और साथ ही ईरान के फॉरदोव और नातांज में मौजूद टॉप न्यूक्लियर फैसिलिटी को खत्म किया जा सके. अपने फाइटर जेट्स को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों से हमला कर सकता है. ताकि जब तक ईरान इजरायली फाइटर जेट्स के लिए तैयार हो उसके ऊपर मिसाइलें गिरने लगें.
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अगर परमाणु संयंत्र पर गिराया गया बंकर बस्टर बम
फॉरदोव में न्यूक्लियर संयंत्र जमीन में 80 मीटर अंदर है. इसे खत्म करने के लिए 30 हजार पाउंड का बंकर बस्टर बम चाहिए. जो अमेरिका इजरायल को दे चुका है. यानी इजरायल इस बम का इस्तेमाल करके परमाणु संयंत्र पूरी तरह से खत्म कर सकता है. इजरायल चाहेगा कि यह संयंत्र पूरी तरह से खत्म हो जाए.
लगातार परमाणु संयंत्रों पर हमला होने से तेहरान को बिजली सप्लाई रुक जाएगी. इससे कई तरह के काम बाधित हो जाएंगे. तेहरान पूरी दुनिया से कट जाएगा. इजरायल के फाइटर जेट्स को ईरान मार कर गिरा सकता है. लेकिन आजतक लेबनॉन, सीरिया, गाजा में जितने भी हमले हुए, उसमें सिर्फ एक इजरायली एफ-16 फाइटर जेट का नुकसान हुआ है. एक भी F-35 नहीं गिराया गया न ही एफ-15 गिराया गया.
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इजरायल इन पर हमला कर सकता है. जैसे- अरक हैवी वाटर रिएक्टर, बुशहर न्यूक्लियर पावर स्टेशन, गाचिन यूरेनियम खदान और नातांज यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी. इसके अलावा बोना, रामसर और तेहरान के आसपास मौजूद न्यूक्लियर साइट्स को भी खत्म कर सकता है इजरायल.
हमला नहीं करता है तो उसके पीछे ये होगी वजह...
ईरान पर बड़ा हमला करने से पहले इजरायल को यह भी सोचना होगा कि उसके पीछे हिजबुल्लाह, हमास अपने सैकड़ों ड्रोन्स और बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला कर देंगे. इससे येरुसलम को दिक्कत होगी. अमेरिका भी इस समय ईरान पर हमला करने से इजरायल को मना कर रहा है. ताकि मामला बड़े पैमाने पर न पहुंचे.