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BrahMos Missile: मिडिल ईस्ट-उत्तरी अफ्रीका के देशों को पसंद आई भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल

BrahMos सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में मिडिल ईस्ट और उत्तरी अफ्रीकी देशों ने रुचि दिखाई है. वो जमीन और हवा से मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल वैरिएंट्स को खरीदना चाहते हैं. आइए जानते हैं कि कौन से देश दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल लेना चाहते हैं.

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ब्रह्मोस मिसाइल के हवाई और जमीनी वर्जन में दूसरे देश दिखा रहे हैं इंट्रेस्ट, जल्द हो सकती है डील.
ब्रह्मोस मिसाइल के हवाई और जमीनी वर्जन में दूसरे देश दिखा रहे हैं इंट्रेस्ट, जल्द हो सकती है डील.

भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है. मिडिल ईस्ट और उत्तरी अफ्रीका में मौजूद मित्र देशों ने जमीन और हवा से लॉन्च होने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को खरीदने में रुचि दिखाई है. भारत के पास यह क्षमता है कि वह 450 किलोमीटर से अधिक दूरी वाले टारगेट को इस मिसाइल से ध्वस्त कर सकता है. 

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भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स में भी ये मिसाइल तैनात है. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि MENA इलाके के मित्र देशों ने सुखोई-30 फाइटर जेट्स में लगने वाले ब्रह्मोस और जमीन से हवा में मार करने वाले ब्रह्मोस मिसाइल में अपना इंट्रेस्ट दिखाया है. इसे लेकर सरकार के साथ बातचीत भी चल रही है. 

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इन देशों के अधिकारियों ने ब्रह्मोस टीम से भी मुलाकात की है. मिसाइल की क्षमताओं और ताकत के बारे में जाना है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस को फिलिपींस से बहुत बढ़िया रेसपॉन्स मिला है. वहां पर ये मिसाइलें धमाल मचा रही हैं. इस मिसाइल के लैंड अटैक वर्जन को भी कुछ देश खरीदना चाहते हैं. उस पर विचार कर रहे हैं. 

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ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम के एक्सपोर्ट पर फोकस

ब्रह्मोस एयरोस्पेस के चेयरमैन अतुल डी राणे ने कहा कि हम इस मिसाइल सिस्टम के ज्यादा से ज्यादा एक्सपोर्ट पर ध्यान दे रहे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि 2025 तक मिलिट्री हार्डवेयर एक्सपोर्ट का व्यवसाय बढ़कर 5 बिलियन डॉलर हो जाए. भारतीय नौसेना ने भी हाल ही में 19 हजार करोड़ रुपए की डील की है. 

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Brahmos Missile

इंडियन नेवी ने अपने युद्धपोतों में लगाने के लिए 200 ब्रह्मोस मिसाइलों को ऑर्डर दिया है. इन्हें एंटी-शिप और लैंड अटैक हमलों के लिए जंगी जहाजों में लगाया जाएगा. इस डील को कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी ने भी हरी झंडी दे दी है. 

दुश्मन की नजर में नहीं आती ब्रह्मोस मिसाइल

ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही रास्ता बदलने में सक्षम है. चलते-फिरते टारगेट को भी बर्बाद कर देता है.  यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं, यानी दुश्मन के राडार इसे देख ही नहीं पाएगा. इसको मार गिराना लगभग अंसभव है. ब्रह्मोस मिसाइल अमेरिका के टोमाहॉक मिसाइल से दोगुना तेज उड़ती है. यह मिसाइल 1200 यूनिट की ऊर्जा पैदा करती है, जो किसी भी बड़े टारगेट को मिट्टी में मिला सकता है. 

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ब्रह्मोस मिसाइल के चार नौसैनिक वर्जन 

ब्रह्मोस मिसाइल के चार नौसैनिक वैरिएंट्स हैं. पहला- युद्धपोत से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट (Anti-Ship Variant), दूसरा युद्धपोत से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट (Land Attack Variant). ये दोनों ही वैरिएंट भारतीय नौसेना में पहले से ऑपरेशनल हैं. तीसरा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट. सफल परीक्षण हो चुका है. चौथा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट. 

Brahmos Missile

इन युद्धपोतों पर तैनात है ब्रह्मोस  

भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने राजपूत क्लास डेस्ट्रॉयर INS Ranvir - INS Ranvijay में 8 ब्रह्मोस मिसाइलों वाला लॉन्चर लगा रखा है. इसके अलावा तलवार क्लास फ्रिगेट INS Teg, INS Tarkash और INS Trikand में 8 ब्रह्मोस मिसाइलों वाला लॉन्चर तैनात है. शिवालिक क्लास फ्रिगेट में भी ब्रह्मोस मिसाइल फिट है. कोलकाता क्लास डेस्ट्रॉयर में भी यह तैनात है. INS Visakhapatnam में सफल परीक्षण हो चुका है. इसके बाद भारतीय नौसेना नीलगिरी क्लास फ्रिगेट में भी इस मिसाइल को तैनात करेगी. 

नौसैनिक ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत 

युद्धपोत से लॉन्च की जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 200KG वॉरहेड ले जा सकती है. यह मिसाइल 4321 KM प्रतिघंटा की रफ्तार. इसमें दो स्टेज का प्रोप्लशन सिस्टम लगा है. पहला सॉलिड और दूसरा लिक्विड. दूसरा स्टेज रैमजेट इंजन (Ramjet Engine) है. जो इसे सुपरसोनिक गति प्रदान करता है. साथ ही ईंधन की खपत कम करता है. 

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