भारतीय वायुसेना को 12 Super Sukhoi मिलने वाले हैं. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ 13,500 करोड़ रुपए की डील की है. इन बारहों Su-30MKI को स्वदेशी तकनीक से एडवांस किया जाएगा. यानी इसमें खतरनाक स्टेल्थ टेक्नोलॉजी, AESA राडार, मिशन कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सुईट, कॉकपिट लेआउट और हथियारों का सिस्टम बदलने वाला है.
इन नए फाइटर जेट्स में 62 फीसदी चीजें स्वदेशी होंगी. जिसकी वजह से देसी रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. HAL का नासिक प्लांट ये काम करेगा. भारतीय वायुसेना के 84 Su-30MKI को सुपर सुखोई बनाने के मुहिम का ये पहला चरण है. इन फाइटर जेट्स को एकदम नए जंगी माहौल के लिए तैयार किया जाएगा.
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आइए जानते हैं कि क्या-क्या बदलाव होंगे...
अगली पीढ़ी का AESA राडार... नए अपग्रेडेड Su-30MKI में ज्यादा एडवांस एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) राडार लगाए जाएंगे. जिनकी डिटेक्शन रेंज ज्यादा होगी. यानी दुश्मन को ये काफी ज्यादा दूर से ही टोह लेंगे. टारगेट ट्रैकिंग अच्छी हो जाएगी. साथ ही इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताएं भी बढ़ जाएंगी. इससे जंग के दौरान विमान की सिचुएशनल अवेयरनेस और बचे रहने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी.
एडवांस्ड एवियोनिक्स और कॉकपिट सिस्टम... नए फाइटर जेट में स्टेट-ऑफ-द-आर्ट डिजिटल डिस्प्ले औऱ अपग्रेडेड मिशन कंप्यूटर्स होंगे. इसकी मदद से पायलट को जंग के मैदान के बेहतर और सटीक जानकारी मिलेगी. ताकि वो ज्यादा प्रभावी ढंग से फाइटर जेट को उड़ा सके. दुश्मन को मार सकें.
एडवांस हथियार लगाए जाएंगे... नए Su-30MKI में अत्याधुनिक हथियार लगाए जाएंगे. जैसे अगली पीढ़ी के हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें. इसके अलावा ब्रह्मोस-ए सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, अस्त्र BVRM और अन्य प्रेसिशन गाइडेड म्यूनिशंस. इनके शामिल होने से सुखोई-30एमकेआई भयानक हथियार बन जाएगा.
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बेहतर इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सुईट... नया इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सुईट फाइटर जेट को दुश्मन के राडार में आने से बचाएगा. साथ ही दुश्मन की मिसाइल के आने की खबर भी देगा. इसमें सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर्स होंगे. शैफ और फ्लेयर्स डिस्पेंसर्स होंगे. ताकि इमरजेंसी हालात में सुखोई फाइटर खुद को और प्लेन को बचा सके.
अपग्रेडेड इंजन... नए सुखोई में AL-31FP इंजन लगाया जाएगा. जिसकी वजह से इसका थ्रस्ट और ईंधन की क्षमता बढ़ जाएगी. इससे रेंज और पेलोड कैपेसिटी बढ़ जाएगी. साथ ही अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाकों और मुश्किल भौगोलिक स्थानों पर भी ये हमला कर पाएगा.
डेटा लिंक इंटीग्रेशन... इस जेट को एडवांस्ड डेटा लिंक सिस्टम से जोड़ा जाएगा ताकि ये रीयल टाइम सूचनाओं को दे सके साथ ही इसके जरिए ड्रोन्स, अवॉक्स और ग्राउंड स्टेशन से लगातार जुड़ा रहे. ये नेटवर्क केंद्रित तकनीक है, जिसके जरिए जेट पर सीधी नजर रखी जा सकती है. साथ ही कॉर्डिनेटेड ऑपरेशन करने में मदद मिलती है.
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भविष्य की तैयारी... सिर्फ इतना ही नहीं, एक ऐसा बदलाव भी किया जा सकता है, जिससे ये फाइटर जेट दुनिया के किसी भी लड़ाकू विमान को टक्कर दे सकते हैं. किसी भी जंग में इंसान और गैर-इंसानी हथियारों का मिश्रण आज के दौर की मांग है. इसलिए प्लानिंग ये भी है कि 84 Sukhoi-30MKI को मैन्ड-अनमैन्ड टीमिंग (MUM-T) तकनीक से लैस किया जाएगा. इस फाइटर जेट के साथ हमलावर या निगरानी ड्रोन्स भी उड़ान भर सकेंगे. इन ड्रोन्स को इन्हीं फाइटर जेट्स से कंट्रोल किया जाएगा. या उनका संचालन किया जाएगा.
इससे वायुसेना को ये फायदा होगा कि जहां तक फाइटर जेट जा सकता है, उससे आगे ड्रोन भेजकर हमला किया जा सकता है. या फिर निगरानी के काम करवाए जा सकते हैं. इस फाइटर जेट के साथ आधुनिक ऑटोनॉमस ड्रोन्स या लॉयल विंगमैन यूसीएवी जोड़ें जाएंगे. इससे सीमाओं पर निगरानी आसानी होगी. जरूरत पड़ने पर हमला करने की ताकत में भी बढ़ोतरी होगी.
अभी के Su-30MKI की ताकत को जानिए...
यह दुनिया के सबसे ताकतवर फाइटर जेट्स में शामिल है. यह एक मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है. जो हवा से जमीन और हवा से हवा में एकसाथ युद्ध लड़ सकता है. यह तेज और धीमी गति में हवा में कलाबाजियां खाते हुए दुश्मन को धोखा देते हुए उनपर हमला कर सकता है.
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इसमें 30mm की ग्रिजेव-शिपुनोव ऑटोकैनन लगी है. जो एक मिनट में 150 राउंड फायर करती है. यानी दुश्मन का विमान, ड्रोन या हेलिकॉप्टर बच नहीं सकते. इसमें 12 हार्ड प्वाइंट्स लगे हैं. 4 तरह के रॉकेट्स लगा सकते हैं. चार तरह की मिसाइल और 10 तरह के बम लग सकते हैं. या फिर इन सबका मिश्रण.
कई तरह के हथियारों को दागने की सुविधा
Su-30 के हार्डप्वाइंट्स में हथियारों को दागने की सुविधा ज्यादा है. अगर मल्टीपल रैक्स लगाए जाएं तो इसमें 14 हथियार लगा सकते हैं. यह कुल 8130 KG वजन का हथियार उठा सकता है. इसमें ब्रह्मोस मिसाइलें भी तैनात हो सकती हैं. यानी भारतीय मिसाइलों का मार्केट भी इसके सहारे बढ़ सकता है.
यह इकलौता ऐसा फाइटर जेट है, जिसे अलग-अलग देश अपने हिसाब से ढाल लेते हैं. या बदलाव करवाते हैं. ताकि अपने देश की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से उसकी तैनाती कर सकें. भारत में Su-30MKI को HAL बनाती है. 1997 में HAL ने इसका लाइसेंस रूस से लिया था.
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खतरनाक रेंज और घातक स्पीड के लिए फेमस
फिर फाइटर जेट को अपने हिसाब से बदलना शुरू कर दिया. एमकेआई का मतलब होता है- Modernised Commercial Indian. सुखोई की लंबाई 72 फीट है. विंगस्पैन 48.3 फीट है. ऊंचाई 20.10 फीट है. इसका वजन 18,400 KG है.
इसमें लीयुल्का L-31FP आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन लगे हैं, जो उसे 123 किलोन्यूटन की ताकत देता है. यह फाइटर जेट अधिकतम 2120 किमी प्रतिघंटा की गति से उड़ता है. रेंज भी 3000 km है. बीच रास्ते में ईंधन मिले तो यह 8000 km तक जा सकता है. यह 57 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है.