भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने सोमालियाई तट पर MV Lila Norfolk के 21 क्रू सदस्यों को बचाया. इसमें 15 भारतीय थे. INS Chennai जैसे स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर से गए Marcos Commando ने मिशन को पूरा किया. लेकिन इस दौरान आसमान से भी नजर रखी जा रही थी.
आसमान में दो खतरनाक निगरानी और हमलावर एयरक्राफ्ट उड़ान भर रहे थे. एक था Poseidon 8I लॉन्ग रेंज मैरीटाइम रीकॉन्सेंस एंड एंटी सबमरीन वॉरफेयर विमान. दूसरा था MQ-9B हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस प्रीडेटर ड्रोन. यानी नीचे समंदर में किस तरह से हमला करना है, कैसे निगरानी करनी है. पल-पल की अपडेट आसमान से मार्कोस कमांडो को मिल रही थी.
ऊपर से निगरानी इसलिए भी रखी जा रही थी कि अगर कहीं से सोमालियाई हाइजैकर किसी अन्य तरह से हमला करें या जहाज की तरफ बढ़े तो कमांडो और युद्धपोत पर तैनात भारतीय नौसैनिकों को सूचना दी जा सके. आइए जानते हैं इन विमानों की ताकत को...
क्या है Poseidon 8I विमान की खासियत?
पोसाइडन 8आई को P8I भी कहते हैं. यह लंबी दूरी का टोही विमान है. साथ ही एंटी-सबमरीन वॉरफेयर एयरक्राफ्ट है. P-8I सिर्फ समुद्री निगरानी, जासूसी नहीं करता बल्कि हमला भी कर सकता है. इससे निकलने वाली मिसाइल दुश्मन के जंगी जहाजों और पनडुब्बियों को सेकेंड्स में नष्ट कर देती है. यह मल्टी-रोल लॉन्ग रेंज मैरीटाइम रीकॉन्सेंस एंड एंटी-सबमरीन वॉरफेयर (LRMR-ASW) एयरक्राफ्ट है.
इस विमान में हवा से जहाज पर दागी जाने वाली मिसाइलें और टॉरपीडोस को तैनात किया जा सकता है. लद्दाख में चीन के साथ हुए संघर्ष के समय पोसाइडन विमान को चीनी गतिविधियों की स्पष्ट तस्वीर लेने के लिए तैनात किया गया था. हिंद महासागर पर रणनीतिक तौर पर निगरानी रखने के लिए यह विमान बेहद महत्वपूर्ण है.
बोइंग पोसाइडन के चार वैरिएंट दुनियाभर में उपयोग किए जा रहे हैं. ये वैरिएंट हैं- P-8A Poseidon इसका सबसे ज्यादा उपयोग अमेरिकी नौसेना करती है. P-8I Neptune- इसका उपयोग भारतीय नौसेना कर रही है. Poseidon MRA1 का उपयोग रॉयल एयरफोर्स कर रही है. P-8 AGS का उपयोग अमेरिकी एयरफोर्स कर रही है.
ये है इस विमान की स्पेसिफिकेशन
इसमें कुल 9 लोग बैठ सकते हैं. दो उड़ान क्रू होते हैं. बाकि मिशन के लिए काम करते हैं. यह विमान 9000 kg वजन उठा सकता है. इसकी लंबाई 129.5 फीट है. विंगस्पैन 123.6 फीट है. ऊंचाई 42.1 फीट है. अगर विमान खाली है, तब इसका वजन 62,730 kg होता है. टेकऑफ के समय अधिकतम वजन 85,820 kg हो जाता है.
इसकी अधिकतम गति 907 km/hr है. आमतौर पर यह 815 km/hr की रफ्तार से उड़ान भरता है. कॉम्बैट रेंज 2222 km है. अगर इसे एंटी-सबमरीन वारफेयर में जाता है तो 4 घंटे तक कॉम्बैट जोन में उड़ान भर सकता है. अधिकतम 8300 km की उड़ान भर सकता है. अधिकतम उड़ान ऊंचाई 12,500 km है. यानी करीब 41 हजार फीट.
11 तरह के हथियारों से लैस होती है
इसमें 11 हार्डप्वाइंट हैं. जहां हथियार लगा सकते हैं. पांच इंटरनल बे पर और 6 बाहरी हार्डप्वाइट. इसमें विभिन्न पारंपरिक हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे- AGM-84H/K SLAM-ER, AGM-84 Harpoon, Mark 54 torpedo, mines, depth charges. इसके अलावा हाई एल्टीट्यूड एंटी-सबमरीन वॉरफेयर वेपन सिस्टम लगाया जा सकता है.
AGM-84H/K SLAM-ER एंडवांस्ड स्टैंड ऑफ प्रिसिजन गाइडेड क्रूज मिसाइल है. यह जमीन और पानी दोनों पर हमला करती है. AGM-84 हार्पून किसी भी मौसम में दागी जाने वाली एंटी-शिप मिसाइल है. Mark 54 टॉरपीडो के जरिए पनडुब्बियों और जहाजों पर हमला कर सकते हैं. इसके जरिए समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाया जा सकता है.
इस विमान में CAE कंपनी का AN/ASQ-508A मैग्नेटिक एनोमली डिटेक्टर (MAD) लगाया गया है. साथ ही ग्रिफॉन कॉर्पोरेशन का टेलिफोनिक्स एपीएस-143सी(वी)3 मल्टीमोड आफ्ट राडार जोड़ा गया है. इसके अलावा आमतौर पर इसमें रेथियॉन एपीवाई-10 मल्टी मिशन सरफेस सर्च राडार होता है. साथ ही एएन/एएलक्यू-240 इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर सूइट और एन/एपीएस-154 एडवांस्ड एयरबोर्न सेंसर लगे हैं. जो इसे किसी भी तरह के हमले से बचाते हैं.
अब जानिए... MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन के बारे में...
एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन (MQ-9B Predator Drone) से अलकायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी को मारा गया था. इसकी खासियत यही है कि उसके आने-जाने की खबर तक नहीं चलती. MQ-9B दुश्मनों पर चुपके से नजर रखता है. जरुरत पड़ते ही मिसाइल से हमला कर देता है. यह लॉन्ग रेंज एंड्योरेंस ड्रोन है. जो हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस रहता है. इसमें लगे R9X Hellfire Missile से जवाहिरी के अड्डे पर हमला किया गया है.
MQ-9B को रिमोट से उड़ाते हैं. यह किसी भी तरह के मिशन के लिए भेजा जा सकता है. जैसे- सर्विलांस, जासूसी, सूचना जमा करना या फिर दुश्मन के ठिकाने पर चुपके से हमला करना. यह ज्यादा समय तक और ज्यादा ऊंचाई से निगरानी करने में सक्षम हैं. इसकी रेंज 1900 किलोमीटर है. अपने साथ 1700 kg वजन का हथियार लेकर जा सकता है.
50 हजार फीट की ऊंचाई से करता है निगरानी
इसकी लंबाई 36.1 फीट, विंगस्पैन 65.7 फीट और ऊंचाई 12.6 फीट है. ड्रोन का खाली वजन 2223 kg है. जिसमें 1800 kg ईंधन आता है. इसकी गति 482 km/hr है. जो 50 हजार फीट की ऊंचाई से दुश्मन को देखकर उसपर हमला कर सकता है. आमतौर पर 25 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ाते हैं.
MQ-9B पर सात हार्ड प्वाइंट होते हैं. इसमें 4 AGM-114 Hellfire मिसाइलें लगी होती हैं, ये हवा से जमीन पर सटीकता से हमला करती हैं. दो लेजर गाइडेड GBU-12 Paveway II बम भी लगाए जाते हैं.
इन दोनों के बजाय आप इस ड्रोन पर अलग-अलग तरीके के हथियार लगा सकते हैं जैसे- GBU-38, जो एक ज्वाइंट डायरेक्ट अटैक एम्यूनिशन है. इसके अलावा ब्रिमस्टोन मिसाइल लगा सकते हैं. इसके अंदर खास तरह के राडार लगे होते हैं. पहला राडार है AN/DAS-1 MTS-B Multi-Spectral Targeting System जो किसी भी तरह के टारगेट को खोजकर उसपर हमला करने में मदद करता है.
दूसरा है- AN/APY-8 Lynx II radar, यह निगरानी और जासूसी में मदद करता है. तीसरा है Raytheon SeaVue Marine Search Radar जिसके जरिए यह ड्रोन समुद्र की गहराई में छिपी पनडुब्बियों को भी खोज लेता है.
नौसेनाध्यक्ष ने बताया कैसे पूरा हुआ मिशन
भारतीय नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर. हरि कुमार ने बताया कि यह ऑपरेशन बेहद सटीकता से किया गया. इसमें भारत सरकार का बड़ा योगदान है. क्योंकि वो पिछले साल पाइरेसी एक्ट लेकर आए. हमारा युद्धपोत हाइजैक जहाज तक पहुंचा. वहां हमारे मरीन कमांडो ने ऑपरेशन पूरा किया. जहाज पर पाइरेट्स नहीं थे. 20 क्रू मेंबर सिटाडेल में छिपे थे. एक दूसरे कमरे में था. इस दौरान P8I एयरक्राफ्ट और प्रीडेटर MQ9B ड्रोन भी तैनात था. ताकि ऑपरेशन सही से पूरा हो सके.
एडमिरल ने बताया कि पिछले एक महीने में 34 ड्रोन अटैक हुए हैं. यानी करीब हर दिन एक हमला. हम हिंद महासागर की सुरक्षा करते आए हैं. आगे भी करते रहेंगे. हम किसी भी जहाज को चेक कर सकते हैं. कोई भी नाव हिंद महासागर से निकलेगी तो उसकी जांच की जाएगी. खासतौर से हिंद महासागर के इस इलाके से निकलने वाले जहाज.