अपनी समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना दो महीने के अंदर फ्रांस के साथ 26 राफेल-एम फाइटर जेट की डील फाइनल कर देगा. इसकी पुष्टि नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने खुद की है. 60 हजार करोड़ रुपए की इस डील से पूरे इंडो-पैसिफिक रीजन में शांति बहाल होगी. नेवी की ताकत बढ़ेगी.
राफेल मरीन फाइटर जेट (Rafale Marine Fighter Jet/ Rafale M) को भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर INS Vikrant और INS Vikramaditya पर तैनात किया जाएगा. ये जेट्स शॉर्ट टेकऑफ करने में सक्षम हैं. लेकिन लैंडिंग के लिए अरेस्टेड रिकवरी स्टोबार तकनीक का इस्तेमाल करेंगे.
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भारत इस डील में फ्रांस से 22 सिंगल सीटर फाइटर जेट और चार डबल सीटर फाइटर जेट खरीदेगा. डबल सीटर फाइटर जेट ट्रेनिंग के लिए काम आएंगे. Rafale-M एक मल्टीरोल फाइटर जेट है. दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत और चीन के अलावा किसी अन्य देश के पास एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है.
स्पीड 2205 km/hr, रेंज 3700 किलोमीटर
राफेल-एम 50.1 फीट लंबा है. इसे 1 या 2 पायलट उड़ाते हैं. राफेल का वजन सिर्फ 15 हजार kg है. यानी हल्का है. राफेल-एम की फ्यूल कैपेसिटी करीब 11,202 kg है. यानी ज्यादा देर तक फ्लाई कर सकता है. गति 2205 km/hrहै. राफेल-एम की रेंज 3700 km है. 52 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है.
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14 हार्डप्वाइंट्स, हथियारों का जखीरा लग जाए
राफेल-एम में 30 mm की ऑटोकैनन गन लगी है. इसके अलावा 14 हार्डप्वाइंट्स हैं. इसमें तीन तरह के हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवा से सतह पर मार करने वाली सात तरह की मिसाइलें, एक परमाणु मिसाइल या फिर इनका मिश्रण लगा सकते हैं. यह फाइटर जेट एंटी-शिप वॉरफेयर के लिए बेस्ट है. इसमें प्रेसिशन गाइडेड बम और मिसाइलें लगा सकते हैं. जैसे- मेटियोर, स्कैल्प, या एक्सोसैट. इस फाइटर जेट के आने से हवा, पानी और जमीन तीनों जगहों से सुरक्षा मिलेगी. नौसेना एक देश के चारों तरफ अदृश्य कवच बना सकेगी.
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राडार ऐसा कि दुश्मन बच न पाए, खुद रहे सुरक्षित
इसका AESA राडार टारगेट डिटेक्शन और ट्रैकिंग के लिए बेहतरीन है. इसमें स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम है जो इसे स्टेल्थ बनाता है. इसमें बीच हवा में ही रीफ्यूलिंग हो सकती है. यानी इसकी रेंज बढ़ जाएगी. राफेल-एम फाइटर आने से भारतीय समुद्री क्षेत्र में निगरानी, जासूसी, अटैक जैसे कई मिशन किए जा सकेंगे.
डील में मेंटेनेंस, ट्रेनिंग और कई चीजें शामिल
इसके आने से चीन और पाकिस्तान समेत इंडो-पैसिफिक में जो स्थितियां हैं, उनसे निपटना आसान हो जाएगा. साथ ही इस डील में ऑफसेट प्रोविजन है. इससे भारत के मेक इन इंडिया मुहिम को भी बढ़ावा मिलेगा. ये डील 60 हजार करोड़ रुपए की है. लेकिन इसमें सिर्फ खरीद की कीमत नहीं है. डील में पैकेज है. इसमें मेंटेनेंस और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी शामिल है. नौसैनिकों की ट्रेनिंग, ऑपरेशन और मेंटेनेंस की ट्रेनिंग भी शामिल है. यह डील पूरी होते ही भारतीय नौसेना के पास एयरक्राफ्ट कैरियर पर नए और आधुनिक फाइटर जेट्स हो जाएंगे.