रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय की कुछ फैक्ट्रियों पर रूस ने अपनी सबसे तेज घातक हाइपरसोनिक मिसाइल किंझल (Kinzhal) से हमला किया है. हमले एक-दो जगहों पर नहीं, बल्कि कई फैक्ट्रियों पर किए गए हैं. रूस ने इन हमलों में इस घातक मिसाइल के अलावा लंबी दूरी के मिसाइल ड्रोन्स का भी इस्तेमाल किया गया है.
किंझल मिसाइल का पहला इस्तेमाल यूक्रेन के लवीव शहर पर हुआ था. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यहां हमला करने के बाद यह कहा था कि NATO में शामिल किसी देश के पास किंझल मिसाइल को रोकने की ताकत नहीं है. मिसाइल दुनिया के किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है. आसानी से दिशा और गति बदल सकती है.
किंझल को मार गिराना आसान नहीं
किंझल मिसाइल को ट्रैक करना मुश्किल है. यह बेहद सटीक, मारक और घातक होती है. यह एयर लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल है. जिसे जमीन और पानी में चल रहे या छिपे टारगेट पर दागते हैं. इसकी स्पीड 6100 से 12,348 km/hr है. इसकी अधिकतम रेंज 2000 km है.
परमाणु हथियार भी लगा सकते हैं इसमें
किंझल में 480 kg वजन का परमाणु या पारंपरिक हथियार लगा सकते हैं. इसे डैगर भी बुलाया जाता है. यानी खंजर. इससे पहले रूस ने इसका इस्तेमाल दक्षिण-पश्चिम यूक्रेन के एक अंडरग्राउंड वेयरहाउस को उड़ाने में किया था. Russia ने इसका प्रदर्शन पहली बार साल 2018 में किया था. रूस ने 1941-45 में जीते ग्रेट पैट्रियॉटिक वॉर के 73वें वर्षगांठ पर विक्ट्री डे मिलिट्री परेड में रेड स्क्वायर पर प्रदर्शित किया था. इसे MiG-31K लड़ाकू विमान में दागते हैं.
क्या हैं हाइपरसोनिक हथियार?
हाइपरसोनिक मिसाइल ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा गति में चलते हैं. यानी 6200 km/hr. इनकी गति और दिशा में बदलाव करने की क्षमता इतनी ज्यादा सटीक और ताकतवर होती हैं. इन्हें ट्रैक करना या गिराना मुश्किल होता है. रूस, चीन और अमेरिका के पास भी ऐसी मिसाइलें हैं.
भारत ऐसी मिसाइल बना रहा है. रूस के पास ICBM एवनगार्ड (Avangard) है. यह मिसाइल 24,696 km/hr की स्पीड से उड़ती है. हाइपरसोनिक हथियार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं. पहला- ग्लाइड व्हीकल्स यानी हवा में तैरने वाले. दूसरा- क्रूज मिसाइल.