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जंग के बीच परमाणु परीक्षण करने की तैयारी में पुतिन, रूसी साइंटिस्ट ने सीक्रेट प्लान का किया खुलासा

यूक्रेन से चल रही जंग के बीच रूस किसी भी समय परमाणु परीक्षण करने की फिराक में है. यह खुलासा रूसी साइंटिस्ट ने खुद किया है. इसके अलावा नॉर्वे सीमा के पास रेडियोएक्टिव तत्व सेसियम-137 के कण भी मिले हैं. कहा जा रहा है कि ये परीक्षण 'at any moment' यानी किसी भी क्षण हो सकते हैं.

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रूसी न्यूक्लियर टेस्टिंग साइट के प्रमुख ने दावा किया है कि परीक्षण की तैयारी पूरी है, बस मॉस्को से आदेश आना बाकी है.
रूसी न्यूक्लियर टेस्टिंग साइट के प्रमुख ने दावा किया है कि परीक्षण की तैयारी पूरी है, बस मॉस्को से आदेश आना बाकी है.

रूसी न्यूक्लियर टेस्टिंग साइट के प्रमुख ने यह खुलासा किया है कि उनकी सीक्रेट टेस्टिंग फैसिलिटी किसी भी क्षण परमाणु परीक्षण करने को तैयार है. उन्हें बस मॉस्को से आदेश का इंतजार है. आमतौर पर ऐसे बयान नहीं आते. ये बहुत ही दुर्लभ बयान है, जिसकी वजह से दुनिया में खलबली मच सकती है. ये बयान साइट के प्रमुख रीयर एडमिरल आंद्रेई सिनिसिन ने रूस के सरकारी अखबार Rossiyskaya Gazeta को एक इंटरव्यू में दिया. 

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रूस ने 1990 के बाद से आजतक एक भी परमाणु परीक्षण नहीं किया है. लेकिन पश्चिमी और रूस के रक्षा एक्सपर्ट्स का मानना है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन किसी भी समय परमाणु परीक्षण का आदेश दे सकते हैं. ताकि यूक्रेन और उसका साथ दे रहे देशों को सबक मिल सके. साथ ही वो रूस में लंबी दूरी की मिसाइलों के अटैक से बचें. उधर नॉर्वे की सीमा के पास रेडियोएक्टिव तत्व सेसियम-137 के कण मिले हैं. 

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रेडियोएक्टिव कण मिलने की वजह से चर्चा और बढ़ गई है कि रूस जल्द ही परमाणु परीक्षण कर सकता है. परमाणु परीक्षण होगा या नहीं इस पर मॉस्को में चर्चा चल रही है. क्योंकि इस परीक्षण के बाद से चीन और अमेरिका को भी बढ़ावा मिलेगा. वो भी परीक्षण करेंगे. इससे परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच एक नई रेस शुरू हो जाएगी. इन तीनों देशों ने सोवियत संघ के खत्म होने के बाद से परीक्षण भी नहीं किए हैं.  

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कहां है रूस का न्यूक्लियर टेस्ट साइट? 

आर्कटिक सागर में मौजूद नोवाया जेमल्या आर्किपेलागो ऐसा द्वीप समूह है, जहां पर कोई इंसान नहीं रहता. सोवियत संघ और रूस ने यहां पर 200 से ज्यादा परमाणु परीक्षण किए हैं. यहीं पर 1961 में दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण हुआ था. जिसे पश्चिमी देशों के सैटेलाइट ने चुपके से कैप्चर किया था. 

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पुतिन ने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने यूक्रेन को पश्चिमी देशों से मिले लंबी दूरी के हथियार चलाने की अनुमति दी तो उन देशों की लड़ाई सीधे रूस से होगी. इस बीच रीयर एडमिरल आंद्रेई ने कहा कि न्यूक्लियर टेस्ट साइट पूरी तरह से परीक्षण के लिए तैयार है. हमारी टीम तैयार है. आदेश आएगा हम परीक्षण कर देंगे. 

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ये है नोवाया जेमाल्या द्वीप समूह, जहां पर रूस परमाणु परीक्षण किया करता था. (फोटोः गेटी)

दुनिया में कहां कितने परमाणु हथियार हैं

दुनिया में 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. ये हैं- अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजरायल. इन सबने मिलाकर 12,121 परमाणु हथियार बनाए हैं. जिनमें से 9585 मिलिट्री ग्रेड के हथियार हैं. इनमें से 3904 हथियारों को मिसाइलों और विमानों में तैनात रखा गया है.

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किन देशों के पास कितने परमाणु हथियार? 

रूस के पास 4380, अमेरिका के पास 3708, चीन के पास 500, फ्रांस के पास 290, इंग्लैंड के पास 225, भारत के पास 172, पाकिस्तान के पास 170, इजरायल के पास 90 और उत्तर कोरिया के पास 50. इस हिसाब से देखें तो भारत दुनिया का छठवां परमाणु हथियार संपन्न देश हैं. 

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किन देशों के हथियार तैनात हैं हमले के लिए? 

रूस ने अपने 4380 परमाणु हथियारों में से 1710 हथियारों को मिसाइलों, फाइटर जेट्स और बमवर्षकों में तैनात रखा है. जबकि अमेरिका ने अपने 3708 हथियारों में से 1770 वॉरहेड्स को तैनात कर रखा है. हैरतअंगेज बात ये है कि फ्रांस ने 290 हथियारों में से 280 को तैनात रखा है. वह भी अलर्ट मोड पर. वहीं इंग्लैंड ने 120 और चीन ने 24 हथियार तैनात कर रखे हैं. 

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नोवाया जेमाल्या में मौजूद ग्लेशियर. (फोटोः गेटी)

क्यों बढ़ गए परमाणु हथियार? 

परमाणु हथियारों को कम करने की जो अंतरराष्ट्रीय ट्रीटी या नीति है, वह इस समय कमजोर पड़ गई है. इसकी वजह है रूस-यूक्रेन और इजरायल-गाजा युद्ध. यूक्रेन और इजरायल के साथ अमेरिका और नाटो देश हैं. वहीं, रूस और गाजा के साथ चीन और अन्य इस्लामिक देश हैं. जिसकी वजह से पिछले दो साल से दुनिया में तनाव की स्थिति बनी हुई है. हर समय तीसरे विश्व युद्ध की चर्चा होती रहती है. 

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क्या असर होगा परमाणु हथियारों के बढ़ने से? 

रूस-यूक्रेन, इजरायल और गाजा युद्ध की वजह से पूरी दुनिया में हथियारों की बढ़ोतरी हो रही है. इससे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो रहा है. इन दो प्रमुख युद्धों के अलावा पिछले साल 50 जगहों पर जंग की स्थिति बनी रही. कॉन्गो और सुडान में हथियारबंद संघर्ष की वजह से लाखों लोग विस्थापित हुए. 

म्यांमार में भी हिंसक संघर्ष देखने को मिला. मध्य और दक्षिणी अमेरिकी राज्यों में अपराधियों के गैंग के बीच जंग चलती रही. जिसका असर हैती में भी देखने को मिला. सिपरी के डायरेक्टर डैन स्मिथ कहते हैं कि हम इस समय इतिहास के सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. ये किसी भी समय बड़े जंग की ओर ले जा सकता है. 

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