रूस की नई इंटरमीडियट रेंज की हाइपरसोनिक मल्टीवॉरहेड न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल ओरेश्निक की सटीकता और मारक क्षमता को लेकर पूरी दुनिया में सुगबुगाहट है. चर्चा हो रही है इसके ऑपरेशनल फीचर्स को लेकर.
कुछ दिन पहले MIT के रिटायर प्रोफेसर एमरिट्स ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंड नेशनल सिक्योरिटी पॉलिसी और अमेरिकी मिसाइल एक्सपर्ट थियोडोर पोस्टल ने कहा था कि इस समय रूस की ओरेश्निक मिसाइल को रोकना या ट्रैक करना किसी के बस की बात नहीं है. इस मिसाइल को काउंटर करने की तो बात ही छोड़ दो.
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अब नेशनल डिफेंस मैगजीन के एडिटर-इन-चीफ और मिलिट्री एनालिस्ट इगोर कोरोचेंको ने भी यही बात कही है. उन्होंने कहा कि दुश्मन की जासूसी सैटेलाइट्स भी रूस की इस मिसाइल को ट्रैक नहीं कर सकते. अगर कर भी लें तो जब तक सैटेलाइट से दुश्मन को खबर मिलेगी, तब तक इसके वॉरहेड तबाही मचा चुके होंगे.
बूस्टर फेज कम, इसलिए इंटरसेप्शन का चांस भी कम
इगोर ने कहा कि बस उन्हें टारगेट तय करने दीजिए. अगर रूस ने मान लीजिए एक बार कीव को टारगेट सेट कर दिया तो वहां मौजूद दुनिया की कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम इस मिसाइल को रोक नहीं पाएगा. मीडियम रेंज मिसाइलों की खासियत ये होती है कि ये कम समय के लिए बूस्ट फेज में रहती है. यानी जब मिसाइल लॉन्च होती है. उसके बाद से तब तक जब वो गति हासिल कर रही होती है. ये मिसाइल का सबसे कमजोर फेज होता है. इसी समय इंटरसेप्शन का चांस सबसे ज्यादा होता है.
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सैटेलाइट भी नहीं कर सकती लॉन्चिंग की जासूसी
ओरेश्निक को मोबाइल ग्राउंड मिसाइल लॉन्च सिस्टम से दागा जाता है. इसलिए दुनिया की कोई भी जासूसी सैटेलाइट एक ही लोकेशन के आधार पर इसकी लॉन्चिंग को ट्रैक नहीं कर सकती. क्योंकि लॉन्च सिस्टम को कहीं भी ले जाया जा सकता है. पता चला कि सैटेलाइट ने एक जगह पर नजर रखी है. दूसरी जगह से मिसाइल लॉन्च हो गई. खास बात ये है कि ओरेश्निक मिसाइल में एंटी-मिसाइल मैन्यूवर भी है. यानी अगर किसी ने इसकी तरफ इंटरसेप्शन के लिए मिसाइल भेजा तो ये उससे बचकर निकल जाएगी.
हर वॉरहेड में अपना प्रोपल्शन सिस्टम, यानी खतरा ज्यादा
इगोर ने बताया कि इस मिसाइल के हर वॉरहेड का अपना खुद का प्रोपल्शन सिस्टम है. दुश्मन की इंटरसेप्शन वाली मिसाइल कितने वॉरहेड को निशाना बनाएगी. इसका हर वॉरहेड यानी हथियार दुश्मन की मिसाइल को धोखा देकर टारगेट की तरफ बढ़ सकता है. यानी टारगेट को तो हर हाल में तबाह होना है.
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4000 डिग्री तापमान, 3 km/sec की स्पीड ... कौन ही रोकेगा?
कुछ ही दिन पहले पुतिन ने कहा था कि यह मिसाइल टारगेट की तरफ मैक 10 यानी 11 हजार km/hr से ज्यादा की स्पीड में हमला करती है. यानी तीन km/sec की गति. इसमें जो हथियार लगाए जाते हैं वो चार हजार डिग्री सेल्सियस का तापमान पैदा करते हैं. जिससे दुनिया का कोई भी धातु, कॉन्क्रीट पिघलाया जा सकता है. सूरज की सतह का तापमान 5 से 6.5 हजार डिग्री सेल्सियस है. ये जहां गिरेगी तबाही पक्की है. सबकुछ पिघल जाएगा.