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नौसेना का सीक्रेट हथियार अब देगा वायुसेना को धार... देश का नया एयर डिफेंस सिस्टम

भारतीय नौसेना का सीक्रेट हथियार VL-SRSAM अब भारतीय वायुसेना की धार बनेगा. DRDO ने नौसेना के लिए बनाए एयर डिफेंस सिस्टम को अब वायुसेना के हिसाब से बदल दिया है. यानी अब इसका इस्तेमाल वायुसेना भी कर सकती है. आइए जानते हैं इस ताकतवर हथियार की क्षमता...

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ये है नौसेना की VL-SRSAM, जिसका इस्तेमाल अब वायुसेना भी करेगी. (सभी वीडियोग्रैबः DRDO)
ये है नौसेना की VL-SRSAM, जिसका इस्तेमाल अब वायुसेना भी करेगी. (सभी वीडियोग्रैबः DRDO)

कुछ महीनों पहले डीआरडीओ ने भारतीय नौसेना के लिए VL-SRSAM का सफल परीक्षण किया था. यह कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है. जिसे वर्टिकली लॉन्च किया जाता है. वर्टिकली लॉन्च करने की सुविधा इसे पनडुब्बी और जहाज में तैनात करने में मदद करती है. लेकिन वायुसेना के लिए यह सुविधा काम की नहीं थी. 

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VL-SRSAM, Indian Navy, Indian Air Force, Air Defense System

इसलिए डीआरडीओ ने वायुसेना के फायदे के लिए इसे 8x8 ट्रक माउंटेड सिस्टम पर तैनात कर दिया है. यानी अब इसका इस्तेमाल जमीन से दागने के लिए भी किया जा सकता है. VL-SRSAM का मतलब है वर्टिकल लॉन्च शार्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल. इसकी मारक क्षमता और स्पीड अत्यधिक घातक है. इसलिए यह दुश्मन के राडार में पकड़ नहीं आती. दुश्मन की मिसाइल, विमान हो, हेलिकॉप्टर या ड्रोन हो...उसे गिरा देती है. 

आइए जानते हैं इस मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम की ताकत... 

इस मिसाइल में स्वदेशी रेडियो फ्रिक्वेंसी सीकर लगा है जो इसकी सटीकता को और बढ़ाता है. कम ऊंचाई पर उड़ने वाले टारगेट का मतलब होता है कि राडार को चकमा देकर आ रहा विमान, ड्रोन, मिसाइल या हेलिकॉप्टर. यानी भारत को अब दुश्मन इस तरीके से भी चकमा नहीं दे सकता. VL-SRSAM मिसाइल दुश्मन की धज्जियां उड़ा देंगी. 

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बराक-1 मिसाइलों को हटाने के लिए बनाई गई है ये मिसाइल

इस मिसाइल को बनाने में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेट्री पुणे, रिसर्च सेंटर इमारत हैदराबाद और रिसर्च एंड डेवलपमेंट पुणे शामिल हैं. इस मिसाइल को युद्धपोतों में लगाया जाएगा. ताकि बराक-1 मिसाइलों को हटाया जा सके. बराक-1 मिसाइल इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज और राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स ने मिलकर बनाई है.

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कम दूरी के लिए भयानक आसमानी सुरक्षा कवच प्रदान करेगी

VL-SRSAM की रेंज 25 से 30 km है. यह अधिकतम 12 km की ऊंचाई तक जा सकती है. इसकी गति बराक-1 से दोगुनी ज्यादा है. यह मैक 5556.6 km/hr की रफ्तार से उड़ती है. इसे किसी भी जंगी जहाज से दागा जा सकता है. खासियत ये है कि ये 360 डिग्री में कहीं घूमकर अपने दुश्मन को खत्म करके ही मानती है.   

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