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कान के बगल से गुजरती दिखी गोली... जानिए ट्रंप पर किस बंदूक से किया गया हमला

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर जिस बंदूक से हमला किया गया, वो ठीक वैसी ही है, जैसे भारत में देसी हथियारों के मॉडल मिलते हैं. एक गोली की फोटो तो न्यूयॉर्क टाइम्स के फोटोग्राफर ने कैप्चर भी कर ली. वो ट्रंप के बगल से गुजरी. इस राइफल का इस्तेमाल अमेरिका में बहुत होता है. जानिए इसकी ताकत...

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ये तस्वीर न्यूयॉर्क टाइम्स के फोटोग्राफर ने कैप्चर की है. जिसमें लाल घेरे में गोली जाती दिख रही है.
ये तस्वीर न्यूयॉर्क टाइम्स के फोटोग्राफर ने कैप्चर की है. जिसमें लाल घेरे में गोली जाती दिख रही है.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर एक चुनावी रैली में हमला हुआ. एक गोली दाहिने कान में लगी. सीक्रेट सर्विस के लोग कह रहे हैं कि वहां करीब आठ राउंड फायर हुए. हमलावर मारा गया. न्यूयॉर्क टाइम्स के फोटोग्राफर ने एक ऐसी फोटो भी ली जिसमें ट्रंप के बगल से जाती हुई गोली भी कैप्चर हो गई है. 

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सीक्रेट सर्विस के मुताबिक हमला AR-15 Style Rifle से किया गया. यह एक सेमी-ऑटोमैटिक राइफल है. गोली चलाने वाला ट्रंप के स्टेज से करीब 400 मीटर दूर एक वेयरहाउस की छत पर था. बताया जा रहा है कि शूटर पेंसिलवेनिया का एक नौजवान है, जिसे सीक्रेट सर्विस ने मौके पर ही दौड़ा कर मार दिया. 

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Donald Tump, Shooting, Assissnation, AR-15 Style Rifle

आइए जानते हैं AR-15 Style Rifle की ताकत... 

यह राइफल कोल्ड एआर-15 की डिजाइन से मिलती जुलती है. इसका इस्तेमाल कुछ देशों की सेनाएं भी करती हैं. यह अमेरिकी मिलिट्री राइफल M16 से भी मिलती है. यहां पर AR का मतलब है आर्मा लाइट. यह अमेरिकी नागरिकों के बीच बेहद फेमस राइफल है. है तो ये सेमी-ऑटोमैटिक लेकिन इस्तेमाल ऑटोमैटिक की तरह की जाती है. इस राइफल का सबसे पहला और पुराना वर्जन 1956 में बना था. तब से इसे बनाया जा रहा है. 

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आज के समय में अमेरिका के अधिकतर हथियार निर्माता कंपनी AR-15 स्टाइल की राइफल बनाते हैं. इसके दर्जनों वैरिएंट्स अमेरिका में मौजूद हैं. वह भी अलग-अलग कीमत में. इसकी बैरल 16 इंच से कम है. शोल्डर सपोर्ट नहीं होती. लेकिन लंबी दूरी की शूटिंग के लिए इसमें कुछ कंपनियां शोल्डर सपोर्ट भी देती हैं. 

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किसी भी तरह की गोली लगाकर दागी जा सकती है

अब इसमें दो तरह के शोल्डर सपोर्ट लगते हैं. फोल्डिंग वाले और नॉन-फोल्डिंग वाले. इसके अलग-अलग वैरिएंट्स का फायदा ये है कि इसे बाएं और दाएं दोनों हाथ के लोग चला सकते हैं. इसमें .223 रेमिंग्टन या 5.56x45mm नाटो गोलियां लगती हैं. लेकिन अब इतने वैरिएंट्स हैं कि इसमें .22 LR, 7.62x39mm, 9x19 mm parabellum, 6.5mm और शॉटगन कैलिबर्स भी लगाई जा सकती है. यानी जैसी चाहो वैसी गोली दागो. 

अमेरिका के सभी प्रांतों में इस बंदूक को नहीं रखा जा सकता है. न्यूयॉर्क सिटी में यह प्रतिबंधित बंदूक है. कोल्ट कंपनी ने 1963 में इस बंदूक का सिविलियन वर्जन पेश किया था. तीन तरह के मोड में फायरिंग करती है. सेमी-ऑटोमैटिक फायर यानी जब चाहो तब फायर करो, वह भी बिना बार-बार लोड किए. ऑटोमैटिक मोड यानी एक बार लोड किया, एक बार ट्रिगर दबाया तो मैगजीन खाली हो जाएगी. 

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कई स्कूलों में हमलावरों ने किया है इसे संहार

इसके कई वर्जन ऐसे हैं जिनका इस्तेमाल लोग शिकार करने के लिए भी करते हैं. यह इकलौती ऐसी बंदूक है अमेरिका में जिसका इस्तेमाल कई बार हत्याओं में हुआ है. मेयर्स अगेंस्ट इलीगल गन्स के मुताबिक अमेरिका में होने वाली 93 मास शूटिंग में से 14 में इस गन का इस्तेमाल किया गया है. आधुनिक अमेरिकी इतिहास में यह 10 सबसे खतरनाक मास शूटिंग हथियारों में शामिल है. 

इस गन का इस्तेमाल 2012 में सैंडी हुक एलिमेंट्री स्कूल शूटिंग, 2017 में लास वेगस शूटिंग, 2017 में सदरलैंड स्प्रिंग्स चर्च शूटिंग, 2018 में पार्कलैंड हाईस्कूल शूटिंग, 2022 में रॉब एलिमेंट्री स्कूल शूटिंग में किया जा चुका है. इस बंदूक का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा में भी किया जाता है. 

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