अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर पनडुब्बी और युद्धपोतों से दागी जाने वाली टोमाहॉक क्रूज मिसाइल से हमला किया है. ये शिप बेस्ड लैंड अटैक और सबमरीन बेस्ड लैंड अटैक मिसाइलें हैं. ये मिसाइलें कम ऊंचाई पर तेज गति से उड़ती हैं. इसलिए इन्हें ट्रैक करना या मार गिराना मुश्किल होता है.
अमेरिका ने इन मिसाइलों का पहला इस्तेमाल 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म में किया था. इस मिसाइल के पांच वैरिएंट हैं. ये हैं- क्रूज मिसाइल, एंटी-शिप मिसाइल, सबमरीन-लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल, लैंड अटैक मिसाइल, सरफेस-टू-सरफेस मिसाइल. टोमाहॉक मिसाइल को 1983 में बनाया गया था.
टोमाहॉक मिसाइल के पांचों वैरिएंट का वजन 1300 किलोग्राम से लेकर 1600 किलोग्राम तक होता है. लंबाई 18.3 फीट बिना बूस्टर के और बूस्टर लगाकर 20.6 फीट होती है. इन मिसाइलों का व्यास 20.4 इंच होता है. विंगस्पैन 8.9 फीट होता है. इन मिसाइलों में परमाणु या पारंपरिक हथियार लगा सकते हैं.
अलग वैरिएंट का अलग रेंज, अलग ताकत
टोमाहॉक मिसाइलों के अलग-अलग रेंज हैं. जैसे- ब्लॉक-2 टीएलएम-एन की रेंज 2500 किलोमीटर. ब्लॉक-3 टीएलएम-सी की रेंज 1700 किलोमीटर, टीएलएम-डी की रेंज 1300 km, ब्लॉक-4 की रेंज 1600 km, ब्लॉक-वीबी की रेंज 1666 किलोमीटर है. जबकि RGM/UGM की 460 किलोमीटर है.
कम ऊंचाई और सब-सोनिक गति है घातक
टोमाहॉक मिसाइल सतह से 98 से 164 फीट की ऊंचाई पर उड़ती है. इतने नीचे उड़ने वाली मिसाइलों को ट्रैक करना मुश्किल होता है, इसलिए इनका हमला बेहद घातक होता है. अधिकतम गति 913 किलोमीटर प्रतिघंटा है. लेकिन कम ऊंचाई में उड़ान भरना ही इसे खतरनाक बनाता है.
कहीं से भी दागने की सुविधा मौजूद
इस मिसाइल को वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम, टॉरपीडो ट्यूब्स, जंगी जहाज, पनडुब्बी या ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर से भी दागा जा सकता है. इस मिसाइल को अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, द नीदरलैंड्स इस्तेमाल करते हैं. भारत में इस तरह की निर्भय मिसाइल है.