रूस लगातार भारत को अपने सबसे ताकतवर बमवर्षक Tu-160 का प्रस्ताव दे रहा है. भारत के पास अभी तक कोई भी बमवर्षक (Bomber) नहीं है. अगर यह बॉम्बर भारत आता है तो सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे बम, हाइपरसोनिक मिसाइल, सुपरसोनिक मिसाइल या क्रूज मिसाइलें भी दागी जा सकती हैं.
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यह लंबी दूरी का बमवर्षक है यानी दुश्मन के घर में घुसकर बमबाजी करके वापस आ सकता है. वह भी बेहद शांति से. अब हम आपको बताते हैं कि तुपोलेव टीयू-160 ब्लैक जैक बमवर्षक (Tupolev Tu-160 Black Jack Bomber) की खासियत क्या है. इसे व्हाइट स्वान (White Swan) भी कहा जाता है.
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Tu-160 एक सुपरसोनिक वैरिएबल स्वीप विंग हैवी स्ट्रैटेजिक बॉम्बर है. जिसका डिजाइन 1970 में सोवियत संघ के तुपोलेव डिजाइन ब्यूरो ने बनाया था. इसकी पहली उड़ान दिसंबर 1981 में हुई थी. 1987 से ये लगातार रूसी एयरोस्पेस फोर्स में तैनात है. टीयू 160 बमवर्षक के 9 टेस्ट प्लेन बनाए गए थे.
रूस के पास अभी 16 बॉम्बर हैं, 50 का प्लान है
साल 2016 से लेकर अब तक रूसी एयरफोर्स के लॉन्ग रेंज एविएशन ब्रांच में 16 विमान मौजूद हैं. रूस का प्लान है कि वो अपनी सेना में 50 नए टीयू 160M बॉम्बर्स को शामिल करेगा. इसे चार लोग मिलकर उड़ाते हैं. इसमें पायलट, को-पायलट, बमबॉर्डियर और डिफेंसिव सिस्टम ऑफिसर. यह विमान 177.6 फीट लंबा है.
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एक बार में 12 हजार km की उड़ान भरने की क्षमता
इसका विंगस्पैन 182.9 फीट हैं. ऊंचाई 43 फीट है. खाली प्लेन का वजन 1.10 लाख किलोग्राम है. 40026 फीट की ऊंचाई पर अधिकतम 2220 km/hr की रफ्तार से उड़ सकता है. आमतौर पर इसे 960 km/hr की स्पीड से उड़ाते हैं. यह एक बार में 12300 km तक की उड़ान भर सकता है.
कॉम्बैट रेंज 2000 km, तेजी से चढ़ता है आसमान में
इसकी कॉम्बैट रेंज 2000 km होती है. जिसे सबसोनिक गति में बढ़ाकर 7300 km किया जा सकता है. यह अधिकतम 52 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है. इसके आसमान में ऊपर चढ़ने की गति 14 हजार फीट प्रति मिनट है. यानी एक मिनट में सवा चार किलोमीटर की ऊंचाई.
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कितने प्रकार के बम किए जा सकते हैं लोड
टीयू-160 में 45 हजार kg वजन के बम को अपने पेट में लेकर उड़ सकता है. इसके अंदर दो रोटरी लॉन्चर्स हैं. हर लॉन्चर 6 raduga kh55sm/101/101/555 क्रूज मिसाइल या फिर 12 AS-16 किकबैक शॉर्ट रेंज परमाणु मिसाइल स्टोर कर सकता है.
कैसे होगा भारत को इससे फायदा?
मान लीजिए अगर छह-छह विमान नागपुर और तंजावुर में तैनात किए जाते हैं. तो ये एक बार में चीन या पाकिस्तान तक उड़ान भर सकता है. अगर इन्हें हिमाचल, बिहार, असम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश में तैनात किया जाए तो ये चीन के अंदर किसी भी शहर में जाकर बमबारी कर सकता है. इसमें जिस रेंज की मिसाइल लोड की जाएगी, उसके आधार पर यह उड़ान भरेगा. ताकि मिसाइल टारगेट तक पहुंच सके. अगर दक्षिण भारत के किसी बेस पर इसे तैनात किया जाता है तो हिंद महासागर में चीन की हरकतों पर विराम लगेगा. इसकी मदद से चीन के नौसैनिक फ्लीट को टारगेट किया जा सकता है.