scorecardresearch
 

क्या देपसांग-डेमचोक से आगे बढ़ेगी बात? समझिए डोभाल की चीन में बातचीत से निकले 6 सूत्र क्यों अहम

भारत-चीन की कहानी अब देपसांग-डेमचोक से आगे बढ़ चुकी है. कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू हो रही है. नाथूला से व्यापार शुरू होगा. सीमाओं को पार करने वाली नदियों को लेकर सहयोग बढ़ेगा. समझिए NSA अजित डोभाल की चीन यात्रा से कौन से छह अहम सूत्र क्या निकले... अब तक झगड़ा क्यों हो रहा था?

Advertisement
X
NSA अजित डोभाल की चीन यात्रा से किस तरह की समस्याओं का समाधान होगा. (प्रतीकात्मक फोटोः एएफपी)
NSA अजित डोभाल की चीन यात्रा से किस तरह की समस्याओं का समाधान होगा. (प्रतीकात्मक फोटोः एएफपी)

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की चीन यात्रा से कुछ मुद्दे तो हल हुए हैं. मामला अब देपसांग-डेमचोक से आगे बढ़ चुकी है. कैलाश मानसरोवर यात्रा, नाथूला मार्ग से व्यापार, नदियों को लेकर सहयोग जैसे कई मामले सुलटे हैं. डोभाल चीन में 23वें स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव्स मीटिंग के लिए गए थे. पांच साल में पहली बार हुई थी ये मीटिंग. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: 12 Super Sukhoi की डील डन, वायुसेना के नए Flanker से कांपेंगे चीन-PAK

पहले समझते हैं उन छह प्वाइंट्स को... जिन पर समझौता हुआ. 

1. शांति की प्रतिबद्धता... दोनों देशों ने सीमा विवाद को हल करने के लिए सकारात्मक प्रगति का मूल्यांकन किया और जोर दिया कि सीमा विवाद द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित नहीं करना चाहिए. 

2. अंतिम समाधान की खोज... दोनों देशों ने एक न्यायसंगत और परस्पर स्वीकार्य सीमा समाधान के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और 2005 के राजनीतिक दिशानिर्देशों के आधार पर प्रयासों को तेज करने पर सहमति व्यक्त की.

Indo-China Border

3. विश्वास बढ़ाने वाले उपायों में वृद्धि... सीमा प्रबंधन को बेहतर बनाने और सतत शांति सुनिश्चित करने के लिए नए तंत्र प्रस्तावित किए गए.

4. सीमा पार आदान-प्रदान... दोनों देशों ने तिब्बत में भारतीय तीर्थयात्रियों की पहुंच को पुनर्जीवित करने, नाथुला सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने और सीमा पार नदी सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: मेड इन चाइना फाइटर जेट के सहारे दम दिखा रहे PAK-बांग्लादेश, क्या कर पाएंगे भारत से मुकाबला?

5. तंत्र की मजबूती... विशेष प्रतिनिधियों के तंत्र को मजबूत किया जाएगा. इसमें राजनयिक और सैन्यबलों के अधिकारी मिलकर कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे. 

6. भविष्य की बातचीत... अगले दौर की बातचीत अगले साल भारत में होगी, जिसकी तारीखें राजनयिक परामर्श के माध्यम से तय की जाएंगी. 

Indo-China Border

अब तक झगड़ा क्यों हो रहा था? 

हिमालय के ऊपर दोनों देशों के बीच सीमा विवाद है. 1962 की जंग के बाद दोनों देशों ने सीमा को लेकर स्टेटस को यानी यथास्थिति बनाए रखने पर सहमति जताई. यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के दोनों तरफ. 

दोनों देशों के बीच इस बात को लेकर समझौता नहीं हो पा रहा है क्योंकि भारत कहता है कि LAC 3488 km लंबी है, जबकि चीन इसे सिर्फ 2000 किलोमीटर कहता है. सबसे ज्यादा बुरी स्थिति एलएसी के पश्चिमी हिस्से में यानी लद्दाख में है. यही सबसे ज्यादा संघर्ष होता है. 

यह भी पढ़ें: वायुसेना के लिए तेजी से बनेंगे LCA-Mk1A फाइटर जेट्स... साढ़े 3 महीने में तैयार हो जाएगा HAL का नासिक प्लांट

मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चीनी सीमा के साथ विवाद कम है. पूर्वी सेक्टर यानी अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में चीन कुछ हिस्से को दक्षिणी तिब्बत कहता है. जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीन सेना में संघर्ष हुआ. इसके बाद 2021 और 2022 में भी झड़प हुई थी. 

Advertisement

अक्टूबर में ब्रिक्स समिट के दौरान भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बातचीत से गर्म माहौल को थोड़ा ठंडा किया था. मिलिट्री पेट्रोल और सेना पीछे बुलाने से मामला शांत हुआ था. ये कहानी देपसांग और डेमचोक के लिए था. अगली बातचीत दोनों देशों के बीच संघर्ष और विवाद को और कम करेगी. 

Live TV

Advertisement
Advertisement