इजरायल बनाम हिज्बुल्लाह-ईरान-हमास-हूती और उधर यूक्रेन-रूस की जंग. इस समय सिर्फ मिसाइलों की खबरें आ रही हैं. आए दिन इजरायल में मिसाइल आने की जानकारी देने वाले सायरन बजते हैं. फिर आसमान में ढेर सारी रोशनियां तैरते हुए दिखती हैं. कुछ हवा में फट जाती हैं. कुछ जमीन पर गिर कर धमाका और नुकसान करती हैं.
हाल ही में ईरान की एक मिसाइल का टूटा हुआ पिछला हिस्सा एक आदमी पर गिर पड़ा. वह मिसाइल की वजन और गति से मर गया. क्योंकि वहां कोई विस्फोट ही नहीं हुआ. इसका मतलब ये है कि पूरे मिसाइल में बारूद तो होता नहीं. कुछ न कुछ तकनीक होगी. नेविगेशन सिस्टम होगा. हथियार कहीं रखा जाता होगा.
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यहां नीचे देखिए बैलिस्टिक मिसाइल का X-Ray
बैलिस्टिक मिसाइल का बेसिक अंदरूनी हिस्सा... जो लगभग सभी मिसाइलों में होता है.
नोज कोन... यानी सबसे ऊपरी हिस्सा जिसमें हथियार रखते हैं. इसे वॉरहेड सेक्शन भी कहते हैं. इसमें पेलोड, गाइडेंस सिस्टम, फ्यूजिंग मैकेनिज्म रहता है. वॉरहेड यानी हथियार. पारंपरिक या परमाणु. सिंगल या कई हथियारों वाला MIRV लोड. हथियार को टारगेट बताने के लिए गाइडेंस सिस्टम और टकराने पर विस्फोट होगा या नजदीक जाने पर... इसके लिए फ्यूजिंग मैकेनिज्म होता है.
फ्यूल टैंक... इसमें फ्यूल रखा जाता है. प्रोपेलेंट और ऑक्सीडाइजर. जो आपस में मिलकर उसे टारगेट तक जाने की ऊर्जा देते हैं. यही फ्यूल मिसाइल के निचले हिस्से में लगे रॉकेट मोटर तक जाता है. ये मोटर उसे आगे बढ़ने की ताकत देता है. इसमें सॉलिड या लिक्विट फ्यूल होता है. जो ऑक्सीडाइजर से मिलता है.
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रॉकेट मोटर... रॉकेट मोटर का काम है मिसाइल को थ्रस्ट देना. यानी आगे बढ़ने की ताकत. ऊर्जा. ऊंचाई. रॉकेट मोटर फ्यूल के हिसाब से डिसाइड होता है. सॉलिड रॉकेट मोटर होगा या लिक्विड फ्यूल मोटर होगा.
कंट्रोल सेक्शन.... इसमें मिसाइल का गाइडेंस सिस्टम, नेविगेशन सिस्टम और कंट्रोल सिस्टम होता है. जो मिसाइल को सही दिशा और दशा देता है. इससे ही सेनाएं मिसाइलों को सही जगह पहुंचाती हैं. गाइडेंस सिस्टम जैसे इनर्शियल मेजरमेंट यूनिट, जीपीएस, टेरकॉम.
स्टेब्लाइजर फिन... इससे मिसाइल को हवा में उड़ान के समय संतुलन मिलता है.
थ्रस्ट वेक्टरिंग... ऐसा सिस्टम जो मिसाइल के नीचे लगे नॉजल को एडजस्ट करता है, घुमाता है. ताकि मिसाइल दाएं-बाएं घूम सकें. उसकी ट्रैजेक्टरी यानी पाथ सही से तय की जा सके.
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बैलिस्टिक मिसाइल की उड़ान के चार फेज होते हैं...
बूस्ट फेज... मिसाइल उड़ान भरती है. ऊंचाई और गति हासिल करती है.
पोस्ट-बूस्ट फेज... मिसाइल हवा में तैरती रहती है. ट्रैजेक्टरी सही करती है. डिकॉय तैनात करती है. मिसाइल वायुमंडल से बाहर या उसके नजदीक पहुंच चुकी होती है.
री-एंट्री फेज... वॉरहेड यानी हथियार अब वापस वायुमंडल में आता है. इसके बाद उसमें लगे ऑनबोर्ड सिस्टम से वह टारगेट की तरफ गाइड होता है.
इम्पैक्ट... यानी टक्कर. वॉरहेड सीधे टारगेट पर गिरता है.
इतने प्रकार की होती हैं बैलिस्टिक मिसाइलें
बैलिस्टिक मिसाइलें कई प्रकार की होती हैं. अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) जिनकी रेंज 5500 किलोमीटर से ज्यादा है. इंटरमीडियट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) जिनकी रेंज 1000-5500 किलोमीटर तक होती है. फिर शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) यानी 1000 किलोमीटर से कम. इसके अलावा सबमरीन से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें (SLBM) भी होती हैं.