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पीसीआर: खोली गड्डी निकली रद्दी

पीसीआर: खोली गड्डी निकली रद्दी

बस केवल रुमाल में से नोट की थोड़ी सी झलक ही चाहिए किसी को अपना शिकार बनाने के लिए. सामने वाला खुद ब खुद शिकार होने के लिए तैयार हो जाता था.रुमाल में बंधी इस गड्डी को भले ही सामने वाले ने ठीक से देख भी नहीं पाता था. मगर हाथ में आई गड्डी पाकर वो गद गद ज़रूर हो जाता था. ठगी का शिकार होने वाला शख्स कुछ देर के लिए तो सातवें आसमान पर होता था. मानों बैठे बैठाए उसकी लॉटरी लग गई है. लोगों की इसी कमजोरी का फायदा उठाकर बदमाशों की ये कंपनी लोगों को चूना लगा दिया करती थी. सबकुछ इतना जल्दी होता था कि ठगी का शिकार बनने वाले जब तक कुछ समझ पाते ये बदमाश अपना काम कर मौके से काफी दूर निकल चुके होते थे. देखिए पूरी रिपोर्ट

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