2015 से अब तक अमेरिका वुहान की उसी वायरोलॉजी लैब को 3.7 मीलियन डॉलर का फंड दे चुका है, जिससे निकले वायरस के दुनिया भर में कोरोना फैलाने का शक है। वो भी तब जब अमेरिका पहले ही ऐसी रिसर्च पर रोक लगा चुका है। हैरानी ये है कि रोक के बावजूद ऐसी रिसर्च के लिए खुद अमेरिका ने ही फंड दिया तो कैसे?