कहते हैं कि मोहब्बत ताकत भी है और कमज़ोरी भी. लेकिन क्या इतनी बड़ी कमज़ोरी कि इंसान इसके चक्कर में मरने-मारने पर उतर आए. मोहब्बत एक ऐसा अल्फाज़ है जो इंसान को जीने का मकसद देती है. मोहब्बत अगर दिल से हो तो वो ताकत बनती है और दिमाग से हो तो वो कमज़ोरी बनते देर नहीं लगती. दिल और दिमाग की इस कशमकश के बीच कुछ हार जाते हैं और कुछ जीत जाते हैं.