अपने गुनाह के निशान छिपाने के लिए उसने दो-दो बार कारों का बदला. लाश को एक कार से दूसरी कार में ट्रांस्फर किया. मसूरी से दिल्ली लौटने के बाद उसने दोनों कारों की ड्राईक्लीनिंग कराई. यहां तक कि सुबूत मिटाने के लिए डबलबैड को पेंट तक करा दिया ताकि खून के निशान न दिखें, लेकिन कोई बेजुबान था जो उसे देख रहा था और जब उसकी गवाही सामने आई तो पूरी वारदात से 13 दिन बाद पर्दा उठ गया.