प्याज ने तेवर तीखे किए तो जनता महंगाई केआंसू रोने को मजबूर हो गई. लोगों को खाने का ज़ायका फीका होने की फिक्र सताई तो सरकार को अपनी सियासी सेहत की चिंता सताने लगी. सरकार जानती है कि प्याज में सत्ता को हिलाने की ताकत है. यही वजह है कि आनन फानन में सस्ते प्याज के इंतजाम किए जाने लगे. प्याज की जमाखोरी पर सख्ती बरती गई और जल्दी ही सरकारी प्याज हर इलाके में पहुंचाने की कवायद शुरू हो गई. कोशिश बस इसी बात की है कि चुनाव से कुछ महीने पहले कम से कम लोगों की थाली से प्याज गायब न हो. लोगों के खाने का ज़ायका बना रहेगा तो सरकार को भी अपना भविष्य उज्ज्वल दिखेगा.