हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने के आदी हो चुके प्रशासन को अब कुदरत की मेहरबानी का इंतज़ार है. कुदरत ने अगर रहम दिखाया और हवाओं और बारिश ने दिल्ली-एनसीआर का रुख किया तो देश की राजधानी को दमघोंटू हवा से राहत मिलने की उम्मीद है. अफसोस की बात ये है कि दिल्ली का दम घुट रहा है लेकिन हुकमरानों में इस समस्या का हल ढूंढने की संजीदगी नहीं दिखती. शायद यही वजह है कि प्रदूषण पर एक हाईलेवल मीटिंग आज सिर्फ इसलिए स्थगित कर दी गई कि उस मीटिंग में कई आला अधिकारी और जनता के नुमाइंदे पहुंचे ही नहीं.