रोहिणी स्कीम के 21 हजार आवेदकों के लिए प्लाट का ड्रा हो गया है. लेकिन सच्चाई बस इतनी सी नहीं है. डीडीए ने 1981 में 100 से 150 वर्गमीटर की दर से जमीन देने की बात कही थी, लेकिन अब आवेदकों को 21000 से 25000 वर्गमीटर के हिसाब से पैसे देने होंगे. सवाल यह है कि सरकारी एजेंसियां की लेटलतीफी और लापरवाही का भुगतान जनता क्यों करें.