एमसीडी विकास के कामों को लेकर अक्सर फंड की कमी का रोना रोती है, लेकिन उसका हाथ तंग इसलिए होता हैं क्योंकि वो आम और खास में फर्क करती है. अगर उसकी ये दोहरी नीति ना हो तो पैसे की कोई कमी नहीं है.