एक तो घंटों भर बिजली कटौती झेलिए और उसपर बिजली के लिए पहले से 22 फीसदी ज्यादा दाम चुकाइए. 2003 में निजीकरण के वक्त ये भी कहा गया था कि जनता अपनी मर्जी से किसी भी इलाके में किसी भी कंपनी से बिजली खरीद पाएगी.