पीर हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर सरसों के फूल चढ़ाने की परंपरा पुरानी है. वसंत पंचमी की पूर्व संध्या पर फूल चढा़ने की परंपरा आज भी जीवित है.