शीला दीक्षित सरकार ने दिल्ली में अवैध कॉलोनियों को वैध बनाने के लिए काफी खर्च किया था. इस काम में 3000 करोड़ रुपये खर्च की बात की गई, लेकिन कैग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जितने काम का दावा किया गया, उतने किए ही नहीं गए.