डीयू छात्रसंघ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के लिये आचार संहिता कोई मायने नहीं रखती. शायद इसीलिये एनएसयूआई ने महज़ कुछ घंटों में दस लाख रुपये खर्च कर दिये, जबकि नियम के मुताबिक पांच दिन के चुनाव प्रचार के लिये एक उम्मीदवार सिर्फ पांच हज़ार रुपये ही खर्च कर सकता है.