जिस प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना के खिलाफ रामबाण माना जा रहा था उसी पर विवाद खड़ा हो गया है. आईसीएमआर ने कहा है प्लाज्मा थेरेपी को उपचार कहना अभी जल्दबाजी है. इसके कोई ठोस सबूत नहीं हैं. कल स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने लव अग्रवाल ने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी कोविड -19 के लिए कोई उपचार नहीं है. गलत तरीके से इसके इस्तेमाल से मरीज की जान को खतरा हो सकता है. यही सफाई ने बाद में आईसीएमआर ने भी ट्वीट के जरिये जारी कर दी. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी दी है कि जब प्लाज्मा थेरेपी नुकसानदायक है तो राज्यों को इसकी मंजूरी कैसे दी गई? पिछले कुछ दिनों से दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में प्लाज्मा थेरेपी का काम शुरु हुआ है. दिल्ली में तो दो दिन से बड़े पैमाने पर प्लाज्मा डोनेट करने का काम चल है, जिसका जायजा लेते खुद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन नजर आए. यही नहीं, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल तो बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी कामयाबी का बखान कर चुके हैं.
With the plasma therapy gaining a lot of traction as a possible cure for coronavirus, the Union Health Ministry clarified that it is at an experimental stage and there is no evidence yet to support that it can be used as treatment for COVID-19. ICMR has launched a national-level study to find out the efficacy of plasma therapy in the treatment of COVID-19. Watch video for more details.