नौ साल चले अढ़ाई कोस, पैसा खर्च हो गया 12 करोड़. एमसीडी की वेबसाइट की यही कहानी है. एमसीडी ने ऑनलाइन सर्विस के नाम पर वेबसाइट के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर दिए, लेकिन सुविधाएं नौ साल बाद भी नहीं मिल पा रही हैं.