अयोध्या के राजा दशरथ को जब पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने कुलगुरु वशिष्ठ की शरण ली. वशिष्ठ ने उन्हें पुत्रष्ठि यज्ञ कराने की सलाह दी. यज्ञ के फलस्वरूप उनके महल में चार राजकुमारों की किलकारी गूंजी.