दशहरा शुरू होते ही जगह-जगह रामलीलाएं आयोजित की जा रही हैं. रामलीला के पात्रों को जीवंत बनाने में वैसे कलाकरों की भी अहम भूमिका होती है, जो पर्दे के पीछे से आवाज देते हैं.