GRE (ग्रेजुएट रिकॉर्ड एग्जामिनेशन) वो एग्जाम है जिसका स्कोर विश्व की टॉप यूनिवर्सिटी में दाखिले में जरूरत होती है. एग्जाम को कराने की जिम्मेदारी अमेरिका के ऑर्गेनाइजेशन एजुकेशन ट्रेनिंग सिस्टम (ETS) की है. इसकी भारतीय इकाई ने नीति आयोग और शिक्षा विभाग से शिकायत की है. जानें- इस एग्जाम के बारे में और क्या है चीटिंग का पूरा मामला...
भारतीय इकाई ने शिकायत ने की है कि कोरोना काल में इस एग्जाम में चीटिंग हुई है. इस साल घर से एग्जाम देने की सुविधा दी गई थी. इस दौरान कुछ उम्मीदवारों ने एक्सपर्ट की मदद लेकर एग्जाम में रैंक पाई है.
जानिए GRE के बारे में
इस परीक्षा के जरिये विश्व की टॉप यूनिवर्सिटीज जो अमेरिका और कनाडा में स्थित हैं, उनमें एडमिशन मिलता है. या यूं कहें कि ये एग्जाम यहां की टॉप यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए जरूरी होता है.
बता दें कि विदेश से पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम करने के लिए ये एग्जाम हर साल लाखों छात्र देते हैं.अमेरिका की MIT, ऑक्सफोर्ड और स्टैनफर्ड जैसी बड़ी यूनिवर्सिटीज़ में भी एडमिशन मिलता है. इस एग्जाम का स्कोर और स्टूडेंट की अन्य डिग्रियों के आधार पर उन्हें एडमिशन मिलता है.
जीआरई को दुनिया का सबसे बड़ा एंट्रेंस टेस्ट भी माना जाता है. हर साल दुनिया भर के करीब 5 लाख स्टूडेंट्स इस एग्जाम का हिस्सा बनते हैं. इस एग्जाम का आयोजन दुनिया के 160 देशों के 1 हजार से ज्यादा एग्जामिनेशन सेंटरों पर हर साल किया जाता है.
साल 2019 में भारत के तकरीबन 85 हजार स्टूडेंट्स ने जीआरई एग्जाम दिया था. ये टेस्ट ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से होता है. उम्मीदवार अपने द्वारा सेलेक्ट एग्जाम सेंटर पर पेपर दे सकता है. यही नहीं जिन देशों में कंप्यूटर आधारित टेस्ट की सुविधा नहीं है, वहां पर पेन पेपर बेस्ड टेस्ट होता है. भारत में भी इस टेस्ट का आयोजन अहमदाबाद, बेंगलुरु, कोयम्बटूर, कोलकाता, मुंबई, दिल्ली और बिरला इंस्टीट्यूट पिलानी में होता है.
जीआरई में तीन तरह के पेपर होते हैं. कुल समय 3 घंटे 10 मिनट का वक्त का होता है. इस बार ऑनलाइन लिए गए टेस्ट में उम्मीदवारों से ये कंडीशन रखी गई थी. कि वो वेबकैम के जरिए एग्जाम रूम दिखाएंगे, फिर भी आयोजक संस्था ने शिकायत की है कि लोगों ने एक्सपर्ट्स की मदद ली है. इसके लिए उन्होंने हर पेपर के आधार पर 30 से 40 हजार रुपए तक दिए हैं.