बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को 11वीं कक्षा में प्रवेश के लिए महाराष्ट्र सरकार के कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) को रद्द कर दिया. कोर्ट ने इसे "घोर अन्याय" का मामला मानते हुए कहा कि ये COVID-19 के मद्देनजर छात्रों के जीवन के लिए खतरा होगा. इस साल मई में जारी एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार, जूनियर कॉलेज में प्रवेश से पहले कक्षा 10 के सभी छात्रों के लिए सीईटी 21 अगस्त को राज्य भर में आयोजित किया जाना था.
न्यूज एजेंसी की खबर के अनुसार न्यायमूर्ति आर डी धानुका और न्यायमूर्ति आर आई छागला की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार के पास कानून के तहत इस तरह की अधिसूचना जारी करने की शक्ति नहीं है और यह अदालत इस तरह के घोर अन्याय के मामले में हस्तक्षेप कर सकती है. अदालत ने कहा कि भले ही अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका दायर नहीं की गई हो, फिर भी यह अदालत के लिए स्वत: संज्ञान लेने के लिए उपयुक्त मामला है.
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अगर कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित करने की अनुमति दी जाती है, तो बड़ी संख्या में छात्र प्रभावित होंगे और ये उनके जीवन के लिए खतरा होगा. इसका व्यापक प्रभाव होगा. अदालत ने सरकार द्वारा जारी 28 मई की अधिसूचना को रद्द कर दिया जिसमें कहा गया था कि सभी बोर्डों में कक्षा 10 के सभी छात्रों के लिए एक सीईटी आयोजित किया जाएगा, जिसके आधार पर वे कक्षा 11 में प्रवेश लेते समय अपना पसंदीदा कॉलेज चुन सकेंगे.
अधिसूचना के अनुसार, सीईटी के लिए उपस्थित नहीं होने वालों को उनके कक्षा 10 के अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा. हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे कक्षा 11 के छात्रों के लिए 10वीं कक्षा के अंकों और आंतरिक मूल्यांकन पर विचार करके प्रवेश शुरू करे और छह सप्ताह की अवधि के भीतर प्रवेश प्रक्रिया पूरी करें.
HC ने CICSE बोर्ड से संबद्ध मुंबई के IES ओरियन स्कूल की छात्रा अनन्या पाटकी द्वारा दायर एक याचिका और IGCSE के चार छात्रों द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका पर यह आदेश पारित किया. याचिकाओं में सीईटी आयोजित करने के राज्य सरकार के फैसले को "भेदभावपूर्ण" बताया गया है.
एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोनी ने पहले तर्क दिया था कि सभी छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा, लेकिन जो लोग अपनी पसंद के कॉलेज चाहते हैं उन्हें सीईटी देना होगा. याचिकाकर्ता के पिता एडवोकेट योगेश पाटकी ने एचसी को बताया था कि निर्णय असंतुष्ट तरीके से लिया गया था और परीक्षा की तारीख 19 जुलाई को अल्प सूचना पर बताई गई थी.
उन्होंने कहा कि इससे संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन होता है और इससे समस्या होगी क्योंकि 15-16 आयु वर्ग के लाखों छात्रों को टीके नहीं लगे हैं, उन्हें ऑफलाइन परीक्षा के लिए उपस्थित होना होगा. महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले कुंभकोनी ने कहा कि राज्य सीईटी अधिसूचना जारी करने के लिए सक्षम है, जो वैकल्पिक है. इसके अलावा सभी कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करके आयोजित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सीईटी के लिए 10.75 लाख छात्रों ने पंजीकरण कराया था, जिसमें बड़ी संख्या में सीबीएसई के छात्र शामिल थे.