NEET Exam: केंद्र ने मद्रास उच्च न्यायालय में दलील दी है कि तमिलनाडु सरकार द्वारा गठित न्यायमूर्ति ए.के. राजन समिति न तो आवश्यक है और न ही वैध है. इस समिति का गठन राज्य सरकार द्वारा राज्य में राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए किया गया था. केंद्र ने कहा है कि आयोग का गठन NEET के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है.
समिति के गठन के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्य सचिव के नागराजन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए केंद्र ने कहा कि समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन करते हुए किया गया है.
केंद्र के जवाब हलफनामे में कहा गया, "समिति का गठन न केवल सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ है, बल्कि निरर्थक में भी है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून अनुच्छेद 241 के आधार पर 'चिकित्सा शिक्षा' को केंद्रीय कानून यानी 2019 के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम के तहत वैधानिक रूप से विनियमित किया जाता है. इसलिए, इसके विपरीत कुछ भी कानूनी रूप से खड़ा नहीं हो सकता है. यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता कि वह मेडिकल प्रवेश पर NEET के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन करे."
केंद्र ने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा लिए गए समवर्ती सूची की प्रविष्टि 25 के तहत कोई भी निर्णय संघ सूची की प्रविष्टि 66 के अधीन होगा जो केंद्र की शक्तियों में होगा. इसका अर्थ है कि राज्य के पास इस परीक्षा का प्रभाव जानने के लिए समिति गठित करने का अधिकार नहीं है.