कंबाइंड यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट अंडरग्रेजुएट (CUET UG) के नतीजे जारी कर दिए गए हैं. इसके बाद से कई छात्र अपने रिजल्ट को इक्विपर्सेंटाइल फॉर्मूले से प्रभावित होने को लेकर चिंतित हैं. इस फॉर्मूले का इस्तेमाल उम्मीदवारों के स्कोर नॉर्मलाइजेशन के लिए किया गया है. छात्रों को चिंता है कि इस फॉर्मूले की वजह से उनका CUET स्कोर प्रभावित हो सकता है.
क्या है इक्विपर्सेंटाइल फॉर्मूला?
किसी भी उम्मीदवार के नॉर्मलाइज्ड स्कोर की गणना उन स्टूडेंट्स के ग्रुप के पर्सेंटाइल का उपयोग करके की जाती है, जो उसी विषय के लिए लेकिन अलग-अलग दिनों में परीक्षा में शामिल हुए हैं. निष्पक्ष मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए सभी उम्मीदवारों के लिए समान पैमाने का उपयोग किया जाता है, चाहे वे किसी भी सेशन में परीक्षा दें. इसके लिए इक्विपर्सेंटाइल फॉर्मूला प्रयोग किया जाता है.
UGC चेयरमैन जगदीश कुमार ने कही ये बात
CUET स्कोरकार्ड में हर सब्जेक्ट में छात्र के पर्सेंटाइल और नॉर्मलाइज्ड दोनों स्कोर दिए गए हैं. पर्सेंटाइल उन स्टूडेंट्स के बीच किसी कैंडिडेट के कंपरेटिव पर्फामेंस को दर्शाता है, जिन्होंने उसी विषय के लिए अलग-अलग शिफ्ट में परीक्षा दी है. इक्विपरसेंटाइल पद्धति का उपयोग करते हुए, छात्रों के पर्सेंटाइल को कई सेशन के डिफिकल्टी लेवल को ध्यान में रखते हुए नॉर्मलाइज्ड स्कोर में परिवर्तित किया जाता है.
डिफिकल्टी का लेवल एक ही विषय में अलग-अलग सेशन में अलग-अलग होता है. ऐसे में यह बहुत संभव है कि स्कोरकार्ड में आप देख सकते हैं कि एक विषय में पर्सेंटाइल स्कोर नॉर्मलाइज्ड स्कोर से अधिक है जबकि दूसरे विषय में पर्सेंटाइल नॉर्मलाइज्ड स्कोर से कम है.
जगदीश कुमार ने कहा, 'छात्रों को इसके बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि CUET नॉर्मलाइज़ेशन फॉर्मूला भारतीय सांख्यिकी संस्थान, आईआईटी दिल्ली और दिल्ली विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के पैनल द्वारा तय किया गया है. प्रवेश के लिए रैंक लिस्ट तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय इन नॉर्मलाइज्ड स्कोर का उपयोग कर सकते हैं.'