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करियर

MP: 2 साल-2 सरकारें, नहीं हुई श‍िक्षक भर्ती, टीचर्स मनाएंगे ब्लैक डे, जानें पूरा मामला

प्रतीकात्मक फोटो
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बात शुरू होती है सितंबर 2018 से. स्कूल शिक्षा विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक की कुल 30,594 पदों पर पात्रता परीक्षा का विज्ञापन जारी हुआ था. इसमें दोनों विभागों में एक ही पात्रता परीक्षा द्वारा भर्ती निकाली गई थी. 

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उच्च माध्यमिक शिक्षक और माध्यमिक शिक्षकों के लिए ऑनलाइन पात्रता परीक्षा कार्यक्रम दिसंबर 2018 में प्रस्तावित था. लेकिन विधानसभा चुनाव के चलते इनको तीन महीने टालते हुए फरवरी और मार्च में संपन्न करवाया गया. इसके लिए अभ्यर्थियों को हर जिले में धरना प्रदर्शन करना पड़ा था. 

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ऑनलाइन पात्रता परीक्षा आयोजित होने के बाद मई 2019 में लोकसभा चुनाव में लगी आचार संहिता का बहाना लेकर परीक्षा परिणाम बनाने पर काम शुरू नहीं किया गया. फिर जून से परीक्षा परिणाम बनाने पर काम शुरू किया गया, लेकिन विडंबना देखिए कि ऑनलाइन परीक्षा करवाने के बावजूद फरवरी में हुई उच्च माध्यमिक शिक्षक की परीक्षा का परिणाम 28 अगस्त 2019 को जारी किया गया. ठीक इसी प्रकार मार्च में संपन्न हुई माध्यमिक शिक्षक की परीक्षा कर परिणाम 26 अक्टूबर 2019 को जारी किया गया. दोनों ही परीक्षाओं का परिणाम जारी करवाने लिए मध्यप्रदेश में अभ्यर्थियों को व्यापक स्तर पर ज्ञापन, धरना प्रदर्शन करना पड़ा. यहां तक कि लेटलतीफी के खिलाफ हाई कोर्ट में रिट पिटीशन भी दायर करनी पड़ी थी. 

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पात्रता परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद उम्मीद थी कि तुरंत दोनों विभागों द्वारा भर्ती का विज्ञापन और विषयवार पद जारी किए जाएंगे. फिर भी ढीला रवैया अपनाते हुए तीन महीने बाद शिक्षा विभाग उच्च माध्यमिक शिक्षक और माध्यमिक शिक्षकों के लिए विज्ञापन और विषयवार पद की जानकारी जनवरी 2020 में जारी करता है. एक महीने बाद फरवरी 2020 में मेरिट और वेटिंग लिस्ट जारी की जाती है. उसके बाद मार्च 2020 में अभ्यर्थियों दस्तावेज सत्यापन का जिला पूछते हुए दस्तावेज अपलोड करवाए जाते हैं. जिनका सत्यापन अप्रैल 2020 में करवाना सुनिश्चित किया गया था. लेकिन लॉक डाउन लगने के कारण इसको तीन महीने अप्रैल, मई, जून के लिए रोक दिया गया. 

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फिर जून 2020 में अभ्यर्थियों को फिर से अपने पसंद का जिला दस्तावेज सत्यापन हेतु चुनने का मौका दिया गया ताकि जो जिस जिले में है वहां दस्तावेज सत्यापन करवा सके. 1 जुलाई से 3 जुलाई तक दस्तावेज सत्यापन हुआ. इसमें करीब आधे अभ्यर्थियों का दस्तावेज सत्यापन पूरा हो गया, जिसमें नौकरी चाहने वाले अभ्यर्थियों की उपस्थिति शत प्रतिशत रही. मगर अचानक 4 जुलाई को परिवहन के बहाने को आगे करते हुए विभाग ने दस्तावेज सत्यापन रोक दिया. 

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अब पूरी जुलाई में विभाग के अधिकारियों और नए शिक्षा मंत्री महोदय से ज्ञापन इत्यादि के साथ संपर्क करने पर बताया गया है कि कुछ नियमों में नई सरकार परिवर्तन करेगी फिर दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इस तरह लगातार फिर ये मामला आगे बढ़ता दिख रहा है. 

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सत्यापन बंद होने की तिथि से लगातार सोशल मीडिया के फेसबुक अकाउंट पर मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री जनसंपर्क मंत्री और शिक्षा विभाग डीपीआई जैसे ही अपनी योजनाओं को लेकर लाइव आते हैं. तत्काल चयनित शिक्षक अपनी आवाज कमेंट के रूप में व्यक्त करते हैं. साथ ही प्रति रविवार ट्विटर के माध्यम से ट्रेंड कराकर अपनी आवाज को उठाते हैं ताकि सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना गाइडलाइन लागू रहे और शिक्षक भर्ती का मुद्दा संज्ञान में रहे. 

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प्रशासन की दमनकारी नीति तानाशाह पूर्ण रवैये से व्यथित होकर 14 अगस्त को समस्त चयनित अभ्यर्थियों के द्वारा प्रदेश के राज्यपाल से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई गई. इसके बावजूद न तो राज्यपाल  द्वारा या किसी अन्य नेताओं या पदाधिकारियों द्वारा चयनित अभ्यर्थियों की सुध ली गई. 

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अब प्रदेश के श‍िक्षक मांग कर रहे हैं कि शेष सत्यापन, फाइनल मेरिट, स्कूल अलॉटमेंट और जॉइनिंग का शेड्यूल जारी किया जाए. इसके अलावा सितम्बर में सारी प्रक्रिया को पूर्ण करवाते हुए जॉइनिंग दी जाए. 

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श‍िक्षकों ने कहा है कि आगामी 5 सितंबर श‍िक्षक दिवस पर समस्त चयनित शिक्षक इस दिन को काला दिवस के तौर मनाएंगे. सभी श‍िक्षक इस दिन शिक्षक दिवस का बहिष्कार करेंगे. श‍िक्षक भर्ती को लेकर मांग लगातार तेजी से बढ़ रही है. अब देखते हैं कि सरकार कब तक इसका संज्ञान लेती है. 

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